Edited By ,Updated: 26 Apr, 2015 09:38 PM
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह के दौरान छात्र साफा और पगड़ी की पोशाक में तथा छात्राएं साड़ी और सलवार के ...
वाराणसी: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह के दौरान छात्र साफा और पगड़ी की पोशाक में तथा छात्राएं साड़ी और सलवार के साथ साफा लगाए नजर आईं। छात्रों ने अंग्रेजो के जमाने से चले आ रहे रंग- बिरंगे गाउन कैप को अलविदा कहकर साफे को अपनाया, गाउन के खिलाफ बीएचयू लंबे समय से संघर्ष करता रहा है। बीएचयू के 97वे दीक्षांत समारोह के अवसर पर वाइस चांसलर जी.सी. त्रिपाठी ने छात्रों से भारतीय पोशाक को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया था।
दीक्षांत समारोह में 38 छात्र- छात्राओं को मेडल से नवाजा गया। सबसे ज्यादा तीन-तीन मेडल ज्योतिष विभाग के राजा पाठक और साइंस की स्टूडेंट तृप्ति आहूजा को मिले। बीएचयू के एक प्रवक्ता ने बताया कि गाउन का प्रचलन ब्रिटिश काल से चला आ रहा है, हमें लगा कि बीएचयू की स्थापना दुनिया में भारत की पहचान बनाने के लिए हुई थी। इसलिए दीक्षांत समारोह में ड्रेस कोड भी भारतीय होना चाहिए। इस मौके पर मुख्य अतिथि इसरो प्रमुख और मंगलयान मिशन के प्रमुख पूर्व डॉयरेक्टर डॉ. जी. माधवन नायर ने कहा कि अभिभावाकों को अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनाने की बजाए समाज सेवा लायक बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति खेती जैसे कई क्षेत्रों में वे अपने ज्ञान और मेहनत के बल पर देश और समाज के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
विज्ञान खासकर अंतरिक्ष विज्ञान में भारत काफी तरक्की कर रहा है, लेकिन अभी इस क्षेत्र में बहुत काम करने की जरूरत है, उन्होंने छात्रों से कहा कि यूनिवर्सिटी ने आपको बहुत कुछ दिया है अब आपकी बारी है आप इसे अपनी मेधा की बदौलत वापस करें।