अनुच्छेद 35 ए संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण, जम्मू कश्मीर के विकास को कर रहा है बाधित: जेटली

Edited By Yaspal,Updated: 28 Mar, 2019 08:39 PM

article 35a is constitutionally defective jaitley

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में गैर-स्थायी निवासियों के संपत्ति खरीदने पर रोक लगाने वाला अनुच्छेद 35 ए ‘संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण’ है और राज्य के आर्थिक विकास को बाधित कर रहा...

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में गैर-स्थायी निवासियों के संपत्ति खरीदने पर रोक लगाने वाला अनुच्छेद 35 ए ‘संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण’ है और राज्य के आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है। जेटली का यह बयान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा राज्य में विधानसभा चुनाव जल्द कराने पर जोर देने के बीच आया है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है और आतंकवाद प्रभावित राज्य से संबंधित सभी नीतिगत फैसले केंद्रीय मंत्रिमंडल लेता है।

देश के सामने कई सवाल खड़े हैं
जेटली ने एक ब्लॉग में कहा कि जम्मू और कश्मीर राज्य का सात दशक का इतिहास भारत के सामने कई सवाल पेश कर रहा है। उन्होंने पूछा, ‘‘जिस नेहरूवादी रास्ते पर राज्य आगे चला था क्या वह ऐतिहासिक भूल थी या यह सही रास्ता था। ज्यादातर भारतीय आज पहले वाली बात को मानते हैं।’’  जेटली ने कहा, ‘‘क्या आज की हमारी नीति त्रुटिपूर्ण दृष्टि से निर्देशित होनी चाहिये या ढर्रे से हटके ऐसी सोच से निर्देशित होनी चाहिये, जो वास्तविकता के अनुरूप हो?’’
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भाजपा के वरिष्ठ नेता और आम चुनावों के लिए पार्टी की प्रचार समिति के प्रभारी ने कहा कि अनुच्छेद 35 ए को 1954 में संविधान में राष्ट्रपति की अधिसूचना के जरिये गुप्त रूप से शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35 ए न तो संविधान सभा द्वारा तैयार किए गए मूल संविधान का हिस्सा था, न ही यह संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन के जरिये आया था, जिसके लिये संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदन की आवश्यकता होती है।

अनुच्छेद 35A दो व्यक्तियों में भेद पैदा करता है
जेटली ने कहा कि यह अनुच्छेद राज्य सरकार को कुछ नागरिकों को स्थायी निवासी घोषित करके और कुछ अन्य को छोड़कर राज्य में रहने वाले दो राज्य के नागरिकों के बीच भेदभाव करने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि यह राज्य के स्थायी निवासियों और अन्य सभी भारतीय नागरिकों के बीच भी भेदभाव करता है। उन्होंने कहा, ‘‘लाखों भारतीय नागरिक जम्मू और कश्मीर में लोकसभा चुनावों में वोट देते हैं, लेकिन विधानसभा, नगरपालिका या पंचायत चुनावों में नहीं। उनके बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। वे अपनी संपत्ति नहीं खरीद सकते और उनके बच्चे सरकारी संस्थानों में दाखिला नहीं ले सकते।’’

 

 

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