हिमाचल बना इस धंधे से विदेशियों के लिए कमाई का जरिया

Edited By ,Updated: 17 May, 2015 04:47 PM

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पश्चिमी हिमालय की दुर्गम घाटियां और ऊंचे पहाड़ एक ऐसी वजह से चर्चा में हैं, जिसका संबंध इनकी खूबसूरती से न होकर अपराध से है। पुलिस के रिकार्ड बता रहे हैं कि...

कुल्लू: पश्चिमी हिमालय की दुर्गम घाटियां और ऊंचे पहाड़ एक ऐसी वजह से चर्चा में हैं, जिसका संबंध इनकी खूबसूरती से न होकर अपराध से है। पुलिस के रिकार्ड बता रहे हैं कि यह इलाका गांजे और अफीम की पैदावार के मामले में देश में पहले स्थान पर है और यहां से इन्हें यूरोप भेजा जा रहा है।

 

मादक पदार्थ और आनन-फानन में कमाई की चाहत विदेशियों को हिमाचल के इन अनजान-से इलाकों की तरफ खींच रही है। विदेशी यहां मादक पदार्थों के असंगठित कारोबार का हिस्सा बन गए हैं। पुलिस के मुताबिक, अकेले कुल्लू घाटी में पचास हजार एकड़ में गांजे की खेती हो रही है। पिछले पांच सालों में 70 विदेशी मादक पदार्थ निरोधी कानून के तहत पकड़े जा चुके हैं।

 

हिमाचल के पूर्व पुलिस प्रमुख आई.डी. भंडारी कहते हैं कि सबसे बड़ी चुनौती कुल्लू, मंडी, चंबा, शिमला और सिरमौर जिलों के उन इलाकों की है, जहां पहुंचना आसान नहीं होता और जहां गांजे और अफीम की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। भंडारी ने कहा कि पुलिस ने मलाना की मैजिक वैली में बड़े पैमाने पर इनकी फसल नष्ट की थी। लेकिन स्थानीय लोगों की मदद के बगैर इस समस्या को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता। कुल्लू-मनाली में मादक पदार्थों के धंधे में विदेशियों की भागीदारी नई बात नहीं है। कुछ यहां से जाते ही नहीं।

 

कुछ स्थानीय महिलाओं से विवाह कर यहीं बस जाते हैं। एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पर्याप्त संख्या बल न होने की वजह से इन विदेशियों पर पुलिस काबू नहीं पा सकी है। नारकोटिक्स ब्यूरो के पूर्व अफसर ओ.पी. शर्मा ने आईएएनएस से कहा कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स माफिया हालैंड और रूस से ज्यादा पैदावार वाले गांजे के बीज स्थानीय किसानों को देते हैं। गांजे और इससे बनी चीजों को फिर यहां से इजरायल, इटली, हालैंड और अन्य यूरोपीय देशों को भेज दिया जाता है। 

 

राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि गांजे की खेती को कानूनी मान्यता देकर इसके आर्थिक लाभ का फायदा उठाना चाहिए। उनका कहना है कि बहुत से परिवार इस पर निर्भर हैं। लेकिन सभी नेता गांजे से बनने वाले अन्य मादक पदार्थों के खिलाफ हैं और इस पर रोक की बात कहते हैं। 

 

भाजपा सांसद वीरेंद्र कश्यप का कहना है कि गांजे की खेती को कानूनी मान्यता देना ही इस समस्या का समाधान होगा। पूर्व भाजपा सांसद और अब हिमाचल लोकहित पार्टी के कुल्लू से विधायक महेश्वर सिंह ने आईएएनएस से कहा कि घाटी में सदियों से गांजे की खेती होती रही है। इसे कानूनी मान्यता देने से हजारों गांववालों को राहत मिलेगी। राज्य पुलिस ने 2014 में एनडीपीएस एक्ट के तहत 644 मामले दर्ज किए थे और 755 लोगों को गिरफ्तार किया था।

 
 

 

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