Edited By ,Updated: 11 Jun, 2015 07:32 PM
यूपी में पत्रकारों की जान पर बन आई है। दस दिन के भीतर दो पत्रकारों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं। शाहजहांपुर में हत्या तो कानपुर में हमला हुआ है।
लखनऊ: यूपी में पत्रकारों की जान पर बन आई है। दस दिन के भीतर दो पत्रकारों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं। शाहजहांपुर में हत्या तो कानपुर में हमला हुआ है। शाहजहांपुर में तो पत्रकार की हत्या में मंत्री का नाम आया है। लेकिन अखिलेश यादव की पुलिस ने न तो आरोपी मंत्री को गिरफ्तार किया है और ना ही अखिलेश यादव ने मंत्री को अब तक हटाया है।
सवाल ये है कि क्या अखिलेश यादव आरोपी मंत्री को बचा रहे हैं। पत्रकारों पर हमले की ये दो तस्वीरें यूपी के कानून व्यवस्था की कहानी बता रही है। शाहजहांपुर में स्वतंत्र पत्रकार की हत्या का आरोप राज्य के मंत्री पर है। तो अब कानपुर में पत्रकार पर जानलेवा हमला हुआ है। शाहजहांपुर वाले केस में पिछड़़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
फरार मंत्री राम मूर्ति वर्मा ने किया बेगुनाही का दावा-
आरोप है कि मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के खिलाफ फेसबुक पर खबर लिखने के बाद पत्रकार जगेंद्र से मारपीट की गई। एक जून को दारोगा ने घर जाकर जगेंद्र से मारपीट की और जिंदा जला दिया। अस्पताल में जगेंद्र की मौत हो गई। मरने से पहले जगेंद्र ने अपना बयान दर्ज कराया था। लेकिन न तो पुलिस मंत्री को गिरफ्तार कर पाई है और ना ही अखिलेश यादव ने उन्हें हटाया है। हालांकि मंत्री इस मामले में खुद को निर्दोष बता रहे हैं।
कानपुर में स्थानीय अखबार के पत्रकार दीपक मिश्रा को बदमाशों ने गोली मार कर जख्मी कर दिया। बताया जा रहा है कि जुए का अड्डा पकड़वाने की वजह से दीपक को बदमाशों ने निशाना बनाया है। कानपुर के अस्पताल में भर्ती दीपक की हालत खतरे से बाहर है। पुलिस आरोपियों को पकडऩे के लिए अभियान चला रही है। सच उजागर करने वाले पत्रकारों पर हो रहे हमले के बाद अखिलेश यादव की सरकार सवालों के घेरे में है। सवाल ये है कि क्या अखिलेश पत्रकार की हत्या के आरोपी अपने मंत्री को बचा रहे हैं?