Edited By ,Updated: 23 Jun, 2015 01:13 PM
आय से अधिक संपत्ति के मामले तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को बरी करने के खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
नई दिल्लीः आय से अधिक संपत्ति के मामले तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को बरी करने के खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपनी अपील में सरकार ने कहा, हाइकोर्ट का आदेश सिर्फ तमाशा और गैरकानूनी है। जया को बरी करने से कानून की हार हुई है इसलिए कर्नाटक हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए और उनकी सदस्यता को रद्द रखा जाए।
सितंबर 2014 में हुई थी सजा
सितंबर 2014 में जयललिता को निचली अदालत ने 1997 के इस मामले में पांच साल की जेल की सज़ा सुनाई थी।
जयललिता को न केवल मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था बल्कि जेल में भी रहना पड़ा था लेकिन इस साल 11 मई को हाई कोर्ट में अपील करने पर उन्हें राहत मिली, जब उन्हें आरोपों से बरी कर दिया गया। इसके बाद 23 मई को वे दोबारा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी हैं।
कर्नाटक सरकार को नहीं दिया गया अपनी दलील रखने का मौका
याचिका में कहा गया कि हाइकोर्ट में कर्नाटक सरकार को अपनी दलील रखने का मौका नहीं दिया गया, क्योंकि मामले में राज्य को पार्टी ही नहीं बनाया गया। इसी वजह से हाइकोर्ट में पूरी कानूनी प्रक्रिया बिगड़ गई। जबकि अभियोजन पक्ष ने सारे सबूतों के बल पर ये साबित कर दिया था कि जया के पास 66 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन हाइकोर्ट ने इन सबूतों पर ठीक से गौर नहीं किया।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल कोर्ट ने जया और तीन अन्य को चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसकी वजह से उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी, लेकिन इसी साल मई मे कर्नाटक हाइकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था और कहा था कि अगर आय दस फीसदी ज्यादा हो तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता।