Edited By ,Updated: 16 Jul, 2015 05:35 PM
सच बोलना कितना मुश्किल होता है, जब हम स्कूल, ऑफिस या फिर घर पर लेट पहुंचते है। टीचर की सजा, बॉस की डांट और बीवी के ताने सुनने से तो अच्छा है कि हम एक झूठ ही बोल दें।
नई दिल्ली: सच बोलना कितना मुश्किल होता है, जब हम स्कूल, ऑफिस या फिर घर पर लेट पहुंचते है। टीचर की सजा, बॉस की डांट और बीवी के ताने सुनने से अच्छा हम झूठ बोलना अधिक पसंद करते है, ताकि बेकार की टेंशन से बचा जा सकें और मूड भी ऑफ न हो। लेकिन हर बार बोले गए इस झूठ के बोझ तले जीना कितना घुटन भरा होता है, इसका अहसास तब होता है, जब सामने वाले को पता चल जाए कि आपने हर बार उनसे झूठ बोला है। शायद फिर वो आपके बोले गए किसी सच पर भी यकीन न करें, क्योंकि तब आपका सच भी उन्हें झूठ ही लगेगा।
लेकिन क्या आपने सोचा है कि बार-बार झूठ बोलने की बजाय जब हम सच बोलते है, तो दिल को कितना सकून पहुंचता है। हां, शायद हो सकता है कि हमारे सच से किसी का दिल दुखे, लेकिन वो सच उस झूठ से कही गुना अच्छा होगा, जो झूठ हम बार-बार बोलते है। इस वीडियो में भी यही दिखया गया है कि किस तरह लोग झूठ की बजाय सच बोलते है और ये सच उनके और सामने वाले के चेहरे पर मुस्कान ला देता है।