Edited By ,Updated: 11 Aug, 2015 06:54 PM
सरकार ने आज कहा कि देश में 2025 तक कैंसर मामलों की संख्या बढ़कर 15 लाख होने का अनुमान है जो 2014 के...
नई दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि देश में 2025 तक कैंसर मामलों की संख्या बढ़कर 15 लाख होने का अनुमान है जो 2014 के मामलों की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय रोग सूचना एवं अनुसंधान केन्द्र के अनुमानों के अनुसार 2015 तक कैंसर के मामलों की संख्या बढ़कर 1510396 होने का अनुमान है। यह 2014 के अनुमानित आंकड़ों से 35.2 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि देश में कैंसर मामलों की बड़ी संख्या के कारण अधिक आयु वाली आबादी की बड़ी संख्या, अस्वथ्य जीवनशैली, तंबाकू का प्रयोग, अस्वस्थ भोजन आदतें आदि हो सकते हैं। नड्डा ने कहा कि आईसीएमआर ने नेशनल कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के आंकड़ों के आधार पर सूचित किया है कि भारत में 14 महिलाआें (शून्य से 64 वर्ष की आयु के बीच) में से एक में कैंसर विकसित होने की आशंका है जबकि पुरुषों में 16 में से एक में इसकी आशंका रहती है।
स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि सरकार सड़क हादसों में एेसी मौतों की संख्या को कम करने के लिए भारत भर में आघात उपचार नेटवर्क विकसित करने की दिशा में काम कर रही है जिनमें लोगों को मरने से बचाया जा सकता है। इन उपायों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रति 100 किमी पर निर्धारित आघात उपचार सुविधा कायम करना शामिल है। उन्होंने कहा कि सरकार 11वीं योजना अवधि से इस उद्देश्य के साथ काम कर रही है कि सड़क हादसों में एेसी मौतों की संख्या को घटाकर 10 प्रतिशत पर लाया जा सके जहां मौत को टाला जा सकता हो।
इसके तहत राष्ट्रीय राजमार्गों पर सरकारी अस्पतालों में आघात उपचार सुविधाआें के विकास के लिए क्षमता निर्माण संबंधी योजना शामिल है। नड्डा ने बताया कि 2013 में सड़क हादसों में एक लाख 37572 लोगों की जान गई। उस साल चार लाख 86476 सड़क हादसों में चार लाख 94 हजार 893 लोग घायल हो गए। स्वास्थ्य मंत्री ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि दिल्ली में वर्ष 2013 में प्रत्येक एक हजार जीवित नवजात बच्चों में शिशु मृत्यु दर 24 रही जबकि इस वर्ष राष्ट्रीय राजधानी में 3.66 लाख बच्चों का जन्म हुआ।
उन्होंने बताया कि सरकार ने शिशु कुपोषण से होने वाली मौतों को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विशिष्ट गतिविधियांं चलाई हैं जिनमें पोषण पुनर्वास केन्द्र शामिल हैं ताकि बुरी तरह से कुपोषित बच्चों का उपचार किया जा सके। दिल्ली में एेसे 11 केन्द्र खोल गए हैं। नड्डा ने कहा कि आेरल रिहाड्रेशन साल्ट पैकेट एवं जिंक गोलियां माताआें को निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है तथा इसका प्रयोग की विधि भी उन्हें बताई जा रही है।