समस्याओं के चक्रव्यूह में फंसती जा रही केंद्र्र और राज्यों की भाजपा सरकारें

Edited By ,Updated: 28 Aug, 2015 12:24 AM

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26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद देशवासियों को अच्छे दिनों की आशा बंधी थी परंतु स्वयं केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकारें ही विभिन्न समस्याओं में फंसती चली जा रही हैं।

26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद देशवासियों को अच्छे दिनों की आशा बंधी थी परंतु स्वयं केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकारें ही विभिन्न समस्याओं में फंसती चली जा रही हैं।

22 वर्षीय हार्दिक पटेल के नेतृत्व में लगभग डेढ़ महीने से गुजरात के पटेल समुदाय द्वारा अपने लिए कालेजों और नौकरियों में आरक्षण के  लिए ओ.बी.सी. स्टेटस की मांग को लेकर चलाया जा रहा आंदोलन हिंसक रूप धारण कर गया है। इस सप्ताह अब तक वहां 100 से अधिक स्थानों पर हिंसक घटनाओं में 10 लोगों की मृत्यु के अलावा 150 वाहनों को आग लगा दी गई। राज्य के गृह मंत्री रजनी पटेल के घर पर भी तोड़-फोड़ की गई।
 
इससे अब तक 3500 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति का नुक्सान हो चुका है। 13 वर्ष के बाद अहमदाबाद में सेना बुलानी पड़ी और एक दर्जन शहरों में कफ्र्यू लगाना और मोबाइल व इंटरनैट सेवाओं को भी बंद करना पड़ा। प्रधानमंत्री द्वारा शांति की अपील के बावजूद हिंसा जारी रही। लोगों ने रेल की पटरियां उखाड़ कर कोयले से लदी एक मालगाड़ी को भी आग लगाने की कोशिश की। अहमदाबाद, मेहसाना, राजकोट, जामनगर,पाटन व सूरत में आंदोलन का सर्वाधिक असर रहा। 
 
जहां भाजपा ने इस आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ होने का आरोप लगाया है, वहीं हार्दिक पटेल ने इसके जवाब में भाजपा उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम रुपाला तथा विहिप नेता प्रवीण तोगडिय़ा के साथ अपने चित्र जारी किए हैं। 
 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव ने भी पटेलों की मांग का समर्थन किया है तथा अपने लिए विशेष सुविधाओं की मांग पर बल देने के लिए लम्बे समय से आंदोलन चलाने वाले राजस्थान के गुर्जर भी खुल कर पटेलों के समर्थन में आ गए हैं।
 
इसी प्रकार भाजपा शासित हरियाणा के जाटों ने भी मनोहर लाल खट्टर सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है कि शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण को लागू न करने पर वे फिर से अपना आंदोलन तेज कर देंगे। 
 
मध्यप्रदेश के व्यापमं भर्ती घोटाले ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार को कटघरे में खड़ा कर रखा है तथा वसुंधरा राजे और सुषमा स्वराज द्वारा ललित मोदी की सहायता पर उठे विवाद और इन दोनों के त्यागपत्र की मांग पर बल देने के लिए कांग्रेस ने संसद का मानसून सत्र चलने ही नहीं दिया। 
 
रेलवे के कर्मचारी तो वन रैंक वन पैंशन की मांग करते आ ही रहे हैं, अब पूर्व सैन्य कर्मियों से वन रैंक वन पैंंशन (ओ.आर.ओ.पी.) लागू करने का वादा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गले की फांस बन गया है।
 
पूर्व सैनिकों के आमरण अनशन में 2 अन्य पूर्व सैनिकों के अलावा पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह की बेटी भी शामिल हो गई है तथा आंदोलनकारियों ने सरकार की तीन नई शर्तें ठुकरा कर उसे मुश्किल में डाल दिया है। 
 
आंदोलनकारियों के अनुसार सरकार 2011 को आधार वर्ष मानना चाहती है और 3 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि भी नहीं देना चाहती। सरकार अब भुगतान 1 अप्रैल, 2015 से करना चाहती है जबकि इससे पूर्व वह 1 अप्रैल, 2014 से देने पर सहमत थी। 
 
बिहार भाजपा में भी फूट के संकेत दिखाई दे रहे हैं। सांसद शत्रुघ्न सिन्हा द्वारा नीतीश कुमार को ‘विकास पुरुष’ कहने और नीतीश के निवास पर भेंट ने शत्रुघ्न के भाजपा से मोहभंग की अटकलों को जन्म दे दिया है। 
 
प्याज, दालों, सब्जियों तथा अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में आग लगी हुई है। प्याज 80 रुपए किलो से ऊपर, टमाटर भी 40 रुपए प्रति किलो के आसपास व दालें 150 रुपए किलो या उससे ऊपर पहुंच गई हैं। 
 
यही नहीं पाकिस्तान सरकार द्वारा सीमा पर घुसपैठ और युद्ध विराम का बार-बार उल्लंघन, माओवादियों द्वारा जारी हिंसा और आतंकवादियों से निपटने तथा नशों और अन्य मुद्दों पर मतभेदों के चलते जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पी.डी.पी. तथा पंजाब में भाजपा-शिअद गठबंधन में भी तनाव पनप रहा है।
 
देश की जनता तो अच्छे दिनों का इंतजार कर रही है परन्तु अच्छे दिनों की बात तो एक ओर, लगता है जैसे देश में चल रहे विभिन्न आंदोलनों, सीमा पार के संकट और पार्टी के भीतर अंतर्कलह जैसी स्थितियों के बीच भाजपा स्वयं ही विभिन्न प्रकार की समस्याओं के चक्रव्यूह में फंसती चली जा रही है।  
 

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