‘हिन्दू अधिक बच्चे पैदा करें’ शिव सेना की बयानबाजों को ‘फटकार’

Edited By ,Updated: 10 Sep, 2015 10:40 PM

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आज हमारा देश 1.30 अरब की जनसंख्या को पार कर चुका है और भीषण ‘जनसंख्या विस्फोट’ की समस्या से जूझ रहा है, परंतु कुछ समय से भाजपा तथा उसके सहयोगी संगठनों के नेता हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़ाने के सुझाव दे रहे हैं

आज हमारा देश 1.30 अरब की जनसंख्या को पार कर चुका है और भीषण ‘जनसंख्या विस्फोट’ की समस्या से जूझ रहा है, परंतु कुछ समय से भाजपा तथा उसके सहयोगी संगठनों के नेता हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़ाने के सुझाव दे रहे हैं जिनसे अनावश्यक विवाद उत्पन्न हो रहे हैं : 

* 7 जनवरी, 2015 को भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा, ‘‘धर्म की रक्षा करने के लिए हिन्दू महिलाओं को कम से कम 4 बच्चे पैदा करने चाहिएं।’’ 
 
* 19 जनवरी को बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य श्री वसुदेवानंद सरस्वती ने कहा ‘‘हिन्दुओं की एकता के कारण ही नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं और अगर यह स्थिति कायम रखनी है तो प्रत्येक हिन्दू परिवार को कम से कम 10 बच्चे पैदा करने चाहिएं।’’
 
*  इसी दिन अयोध्या के एक धर्मगुरु कन्हैया दास ने कहा, ‘‘हम दो हमारे दो का नारा नहीं चलेगा। हर हिन्दू दम्पति के कम से कम 8 बच्चे होने चाहिएं।’’ 
 
* 2 फरवरी को भाजपा नेता साध्वी प्राची ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, ‘‘प्रत्येक हिन्दू को 4 बच्चे पैदा करने चाहिएं, 40 पिल्ले नहीं।’’
 
* 4 अप्रैल को विहिप के महासचिव चंपत राय ने कहा कि ‘‘हिन्दुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिएं नहीं तो देश पर मुसलमानों का कब्जा हो जाएगा। यदि हिन्दू एक बच्चे से खुश हैं तो 2050 में इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा।’’
 
* 7 सितम्बर को विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगडिय़ा ने कहा कि ‘‘हम उन हिन्दू परिवारों का इलाज करवाना चाहते हैं जो कुछ रोगों के कारण बच्चे पैदा करने में असमर्थ हैं। हम उनका इलाज करवाकर उन्हें 4 बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।’’ 
 
ऐसे बयानों द्वारा हिन्दुओं से अपनी जनसंख्या बढ़ाने का अनुरोध करने वालों पर कटाक्ष करते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन में घटक दल शिव सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय में सरकार को याद दिलाया है कि ‘‘भारत की दयनीयता के पीछे अत्यधिक जनसंख्या एक कारण है और ऐसे विचारों का समर्थन नहीं किया जा सकता। इन पर वरिष्ठ भाजपा नेताओं या सरकार को अपना रुख स्पष्टï करना चाहिए। केवल जनसंख्या बढ़ाकर मजबूती नहीं लाई जा सकती।’’
 
‘‘ऐसे बयान ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ जैसे सरकार के नारों के भी विपरीत हैं। इस समय हम भारत में जनसंख्या विस्फोट का सामना कर रहे हैं और जनसंख्या की अधिकता हमारी समस्याओं के अनेक कारणों में से एक है। जनसंख्या बढऩे से बेरोजगारी और गरीबी भी बढ़ती है। संतान प्राप्ति से बढ़कर कोई खुशी नहीं हो सकती परंतु इस खुशी को प्राप्त करने के लिए हमें चार बच्चों की जरूरत नहीं, एक ही बच्चा काफी है।’’ 
 
हमने 7 जनवरी, 2015 के संपादकीय ‘भारत में जनसंख्या विस्फोट और निष्क्रिय परिवार नियोजन कार्यक्रम’ में लिखा था कि ‘‘भारत दुनिया का पहला देश है जिसने 1950 में ही परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू कर दिए थे परंतु इसे सुचारू रूप से न चलाने के कारण लक्ष्य प्राप्त करने में यह असफल रहा। इसी कारण स्वतंत्रता के लाभ पात्र लोगों तक नहीं पहुंच सके।’’
 
आज जमाना बदल चुका है। शिक्षित व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा व अन्य जीवनोपयोगी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की इच्छा के चलते 2 से अधिक बच्चे नहीं चाहता ताकि वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर देश के श्रेष्ठ नागरिक बनें और सुखमय तथा सम्मानजनक जीवन बिता सकें।
 
इसी कारण आज पढ़ा-लिखा मुस्लिम समुदाय भी कम बच्चे पैदा कर रहा है और अब पढ़ी-लिखी महिलाएं भी 2 से अधिक बच्चे पैदा नहीं करना चाहतीं क्योंकि अधिक बच्चे पैदा करने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
 
अत: इस प्रकार के सुझाव देने के स्थान पर यदि ये नेता उन समुदायों को उच्च शिक्षा देने की व्यवस्था करवाने पर जोर देते जिनकी जनसंख्या उनकी नजर में ज्यादा बढ़ रही है, तो अधिक अच्छा होता। 
 
आज समाज को इस तरह के बयानों की नहीं बल्कि लोगों में शिक्षा को बढ़ावा देने तथा परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने वाले प्रयासों की आवश्यकता है ताकि देश मेंं जनसंख्या विस्फोट पर रोक लगा कर विकास के लाभ सब तक पहुंचाए जा सकें। इस परिप्रेक्ष्य में शिव सेना ने हिन्दुओं से अधिक बच्चे पैदा करने का आह्वान करने वाले नेताओं को आइना दिखा कर प्रशंसनीय कार्य किया है।   

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