Edited By ,Updated: 15 Sep, 2015 01:33 PM
नरेन्द्र मोदी के अधीन प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) धीरे-धीरे एक मिनी कैबिनेट में बदल रहा है।
नई दिल्ली: नरेन्द्र मोदी के अधीन प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) धीरे-धीरे एक मिनी कैबिनेट में बदल रहा है। पी.एम.ओ. में बढ़ रहे अधिकारियों की संख्या का सुराग प्रधानमंत्री के मंत्रालय अधीन कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना से मिला जिसमें 20 निजी सहायकों (पी.ए.) की सेवाएं मांगी गई हैं जो अंग्रेजी में निपुण हों। इन पी.ए. की सेवाएं 5 वर्ष की अवधि के लिए मांगी गई हैं।
पी.एम.ओ. द्वारा इतनी बड़ी संख्या में मांगे गए पी.ए. का यह दल अब तक का सबसे बड़ा है। कई दशकों तक पी.एम.ओ. के कामकाज को जानने वालों का कहना है कि इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा इतनी बड़ी संख्या में पी.ए. कभी नहीं मांगे गए थे। अधिसूचना से संकेत मिलता है कि पी.एम.ओ. प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं को तेजी से लागू करने और पी.एम.ओ. को भेजे गए पत्रों, मेल और अन्य संवाद का तेजी से जवाब देने के लिए खुद को मुस्तैद बना रहा है। एक सूत्र ने कहा कि पी.एम.ओ. विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के कामकाज पर अपनी पकड़ मजबूत बना रहा है। इसलिए कुशल प्रशासिक सहायकों का होना जरूरी है।
कैबिनेट मंत्रियों को हाल ही में एक निर्देश जारी किया गया है कि उनको किसी प्रस्ताव पर कैबिनेट नोट भेजने से पहले पी.एम.ओ. की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी चाहिए। यहां तक कि प्रारूप नोट को भी पहले मंजूरी लेना जरूरी होगा। कैबिनेट मंत्री अक्सर मंत्रालय के समक्ष पेश किए जाने वाले प्रस्तावित प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री के साथ सामान्य रूप से चर्चा करते हैं। वास्तव में पी.एम.ओ. ने विदेश मंत्रालय द्वारा खाली किए गए स्थान का एक बहुत बड़ा हिस्सा प्राप्त कर लिया है। विदेश मंत्रालय जनपथ पर बनी बड़ी इमारत के नए परिसर में स्थानांतरित हो गया है।
मोदी का पी.एम.ओ. मनमोहन सिंह के 10 वर्ष के शासन के तहत कार्यरत पी.एम.ओ. से एकदम विभिन्न है। मोदी ने न केवल प्रशासन पर अपनी पकड़ मजबूत की है बल्कि निर्णय लेने में भी तेजी दिखाई है। मोदी के पास एक मजबूत मीडिया निगरान यूनिट भी है जो पल-पल के घटनाक्रम से जुड़ी सूचनाओं से उनको अवगत करवाता है। गुजरात का एक अधिकारी मोदी की आंख और कान का काम करता है। मगर वह हमेशा पर्दे के पीछे रहता है और मीडिया के साथ सीधी बातचीत नहीं करता।
प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा, उप-प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मोदी की कोर टीम में हैं जबकि हीरेन जोशी, हेमांग जैन, पी. दोषी और संजय आर. भावसर भी पी.एम.ओ. का अटूट हिस्सा हैं। ये सभी उस समय गुजरात में मोदी के साथ थे जब मुख्यमंत्री थे। प्रधानमंत्री ने संबद्ध मंत्रियों के साथ उनके मंत्रालयों में अधिकारियों की नियुक्ति से पूर्व सलाह-मशविरा करने की प्रक्रिया को पहले ही खत्म कर दिया है। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ही केवल ऐसे व्यक्ति हैं जो नियुक्तियों की कैबिनेट कमेटी के सदस्य हैं। मंत्रियों के निजी स्टाफ में नियुक्तियों को पी.एम.ओ. द्वारा मंजूरी दी जाती है।