आर्टिकल 35A पर आएगा बड़ा फ़ैसला ?, कश्मीर में 16000 अतिरिक्त बल तैनात

Edited By prachi upadhyay,Updated: 27 Jul, 2019 05:01 PM

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कश्मीर के नेताओं के माथों  पर आजकल चिंता की लकीरें पड़ गई हैं। सभी असमंजस में हैं। हज़ारों कोशिशों के बावजूद भी उन्हें पता नहीं चल पा रहा है कि कश्मीर में आखिर क्या होने वाला है। दरअसल गृह मंत्रालय की ओर से कश्‍मीर में कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखने के...

नई दिल्ली: कश्मीर के नेताओं के माथों  पर आजकल चिंता की लकीरें पड़ गई हैं। सभी असमंजस में हैं। हज़ारों कोशिशों के बावजूद भी उन्हें पता नहीं चल पा रहा है कि कश्मीर में आखिर क्या होने वाला है। दरअसल गृह मंत्रालय की ओर से कश्‍मीर में कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए सीएपीएफ समेत अन्‍य बलों की अतिरिक्‍त 100 कंपनियों को तैनात करने का आदेश दिया है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक सीआरपीएफ की 50, बीएसएफ की 10, एसएसबी की 30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां तैनात की गई हैं। ख़बरों की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्‍त के कार्यक्रम में जम्‍मू कश्‍मीर जा सकते हैं और हो सकता है कि इसी दिन आर्टिकल 35 ए पर कोई बड़ी घोषणा की जाए।

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ये कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बिना किसी पूर्व जानकारी के घाटी के दौरे पर श्रीनगर पहुंचे हैं, और पिछले दो दिनों से  सेना के अलग-अलग अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं जिनमें सुरक्षा और ख़ुफ़िया एजेंसियों के अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था का भी जायज़ा लिया। लेकिन, अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि डोभाल श्रीनगर में किस सीक्रेट मिशन के तहत पहुंचे हैं। 

डोभाल का इस दौरे को बहुत ही सीक्रेट रखा गया। उनके आने के बारे में जानकारी भी महज कुछ घंटों पहले दी गई थी। ना उनके आने के बारे में जानकारी थी और ना ही यह जानकारी है कि उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों के साथ किन-किन मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन, उनके कश्मीर पहुंचने के बाद से ही यह अटकलें तेज़ हो गई हैं कि, स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर से आर्टिकल 35 A और 370 को हटाने का एलान कर देंगे। जिसे लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष शाह फैसल ने ट्वीट कर कहा, ‘गृह मंत्रालय की ओर से कश्मीर में सीआरपीएफ के 100 अतिरिक्त कंपनी तैनात करना चिंता पैदा कर रहा है। इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। इस बात की अफवाह है कि घाटी में कुछ बड़ा भयानक होने वाला है। क्या यह अनुच्छेद 35ए को लेकर है?’

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लम्बे वक़्त से कश्मीर में आर्टिकल 35A और 370 को लेकर विवाद बना हुआ है। देशभर से कश्मीर में लागू इन आर्टिकल्स को हटाने की मांग उठती रही है। तो वहीं कश्मीर के स्थानीय नेता इसे लागू बनाए रहने पर अड़े हुए हैं।

यहां पर आप ये जानिए कि आर्टिकल 35A  और 370  आखिर हैं क्या ? और कैसे यह एक ही राज्य में रह रहे लोगों के बीच सामान अधिकारों का हनन करता है ?

1- 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया।

2- अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है कि वह यह तय करे कि :
   जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है ?
   किसे सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जायेगा ?
   किसे जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा ?

  किसे जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा ?  
   किसे छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता और किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा.

यह सारे अधिकार सिर्फ उन लोगों के लिए हैं जो यहां के स्थाई नागरिक हैं। वहीं स्थाई नागरिकता भी सिर्फ उन लोगों को मिली हुई है जो 14 मई 1954 से पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या फिर इस बीच में यहां उसकी पहले से कोई संपत्ति हो।

अनुच्छेद 35A में यह भी प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है। तो, उसे किसी भी कोर्ट में चुनौती नही दी जा सकती है। इतना ही नहीं, अगर इस राज्य की कोई लड़की किसी दूसरे राज्य के लड़के से शादी करती है तो उसके भी सारे अधिकार खत्म कर दिए जाएंगे।

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कुछ वक़्त पहले अरुण जेटली ने अपने एक ट्वीट के जरिये कश्मीर की मौजूदा स्थिति का वर्णन किया था। उस दौरान उन्होने संकेत दिया था की केंद्र सरकार आर्टिकल 35A  और 370 को जल्द ही हटाने का विचार कर रही है। जेटली ने अपने ट्वीट में बताया था की आज जम्मू-कश्मीर के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं। 35A के कारण कोई भी निवेशक यहां पर उद्योग, होटल, निजी शिक्षण संस्थान या निजी अस्पताल स्थापित नहीं कर सकता। वो राज्य में ना तो ज़मीन या संपत्ति ख़रीद सकता है। उनके बच्चों को सरकारी नौकरियों या कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिलता।

आज भी ऐसी कोई बड़ी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय होटल चेन नहीं है, जिसने पर्यटन केंद्रित राज्य में एक भी होटल स्थापित किया हो। कॉलेज की पढ़ाई के लिए छात्रों को नेपाल और बांग्लादेश सहित सभी जगहों पर जाना पड़ता है। जम्मू में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित सुपर स्पेशलिटी सुविधा सहित इंजीनियरिंग कॉलेज और अस्पताल या तो अंडर-यूज़ किए गए है या प्रयोग करने लायक ही नहीं हैं, क्योंकि बाहर से प्रोफेसर और डॉक्टर वहां जाने के लिए तैयार नहीं होते। अनुच्छेद 35A ने निवेश को रोक दिया है और राज्य की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है और राज्य में विकास रुका हुआ है। पूर्व वित्त मंत्री ने अपने उस ट्वीट में कश्मीर की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया था और कहा था कि जम्मू-कश्मीर और देश के विकास के लिए वहां से आर्टिकल 35A  और 370 का हटना क्यों ज़रूरी है।

आर्टिकल 35A को लेकर केंद्र सरकार का कोई फैसला आता है या नहीं ये देखने होगा। लेकिन इतना ज़रूर हैं कि कश्मीर में एकाएक इतने सारे सुरक्षाबलों की तैनाती इस बात की और इशारा करती है की वहां कुछ ना कुछ बड़ा तो जरूर होने वाला है।

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