Edited By Anil dev,Updated: 27 Aug, 2019 11:12 AM
केंद्र में होने के बावजूद दिल्ली की राजनीति में सीधे दखल रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेतली और सुषमा स्वराज के एकाएक निधन के बाद अब दिल्ली भाजपा संगठन से लेकर विभिन्न स्तरीय चुनावों में स्थानीय कार्यकर्ता किसके सहारे अपनी वैतरणी पार करेंगे!
नई दिल्ली: केंद्र में होने के बावजूद दिल्ली की राजनीति में सीधे दखल रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेतली और सुषमा स्वराज के एकाएक निधन के बाद अब दिल्ली भाजपा संगठन से लेकर विभिन्न स्तरीय चुनावों में स्थानीय कार्यकर्ता किसके सहारे अपनी वैतरणी पार करेंगे!
केंद्रीय कमान तक अपनी बात को पहुंचाने के लिए कार्यकर्ता भी पसोपेश में हैं। वैसे अब तक कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने संघ में भी अपनी पकड़ को और मजबूत करना शुरू कर दिया है। लेकिन उसमें चुनिंदा नाम ही सामने दिखाई दे रहे हैं। इनमें संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल पहले से ही केंद्रीय भाजपा के साथ-साथ दिल्ली के चुनिंदा नेताओं के बीच भी अपना विशेष स्थान रखते हैं। सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी का दिल्ली से सीधा नाता भले ही नहीं है, लेकिन उनकी पारखी नजर के संघ व भाजपा दोनों ही स्थान पर सभी कायल हैं। माना जाता है कि वह भी अपने करीबियों की मदद करने में संकोच नहीं करते हैं। बात यदि भाजपा नेताओं की हो तो इसमें कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का नाम इन दिनों खास चर्चा में है। क्योंकि कई बड़े स्थानीय नेताओं को डूसू चुनाव लड़ाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। साथ ही अर्से से यह दिल्ली में अपनी दखल विभिन्न कारणों से रख रहे हैं।
तो क्या, दिल्ली-4 का दौर समाप्त हो गया?
प्रदेश अध्यक्ष के नाते कार्यकर्ता मनोज तिवारी से उनके स्वाभाविक फायदे होते हैं। खासतौर पर जब-तब प्रदेश अध्यक्ष के नाते चुनावी टिकट वितरण में सूची पर मुहर लगाने से पूर्व उनसे भी सलाह-मशविरा होना लाजिमी है। दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल का दरबार लगातार लगता रहा है और वे भी केंद्रीय नेतृत्व तक कार्यकर्ताओं की बात पहुंचाते रहे हैं। वैसे सियासी गलियारे में यह भी चर्चा है कि जेतली, सुषमा स्वराज के साथ-साथ अनंत कुमार के निधन के बाद भाजपा में दिल्ली-4 का दौर भी समाप्त हो गया है।