जेटली के राजनीतिक सफर पर एक नजर, वाजपेयी से लेकर मोदी कैबिनेट में संभाली बड़ी जिम्मेदारियां

Edited By Anil dev,Updated: 24 Aug, 2019 12:44 PM

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भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले अरुण जेटली का राजनीतिक सफर वास्तविक तौर पर उनके छात्र रहते ही शुरू हो गया था। 1973 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने ''संपूर्ण क्रांति आंदोलन'' शुरू किया था। इस आंदोलन में विद्यार्थी और युवा संगठनों ने...

नेशनल डेस्कः भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले अरुण जेटली का राजनीतिक सफर वास्तविक तौर पर उनके छात्र रहते ही शुरू हो गया था। 1973 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन' शुरू किया था। इस आंदोलन में विद्यार्थी और युवा संगठनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने अधिक से अधिक छात्रों को आंदोलन से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय समिति बनाई। जेपी ने जेटली को इस राष्ट्रीय समिति का संयोजक बनाया। 

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आपातकाल के वक्त 19 महीने रहे नजरबंद 
जेटली वर्ष 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने। 1975-77 तक देश में आपातकाल के दौरान उनको मीसा एक्ट के तहत 19 महीने तक नजरबंद रहना पड़ा। मीसा एक्ट हटने के बाद जेटली जनसंघ में शामिल हुए। इसके बाद अटल ने कैबिनेट में किया शामिल वर्ष 1991 में पहली बार जेटली को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य के तौर पर शामिल किया। इसके बाद वह काफी लंबे वक्त तक भाजपा प्रवक्ता रहे और 1999 में एनडीए सरकार बनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जेटली को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया।

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अटल के कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारियां 
-तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कैबिनेट में जेटली को सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में जिम्मेदारी सौंपी। इसके अलावा निर्गुण राज्य (स्वतंत्र प्रभार), विश्व व्यापार संगठन मंत्रालय की जिम्मेदारी भी जेटली को सौंपी गई। 23 जुलाई 2000 को राम जेठमलानी ने अटल कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी अटल ने जेटली को सौंपी। 

राज्यसभा से शुरू हुआ संसद का सफर 
वर्ष 2006 में जेटली पहली बार राज्यसभा सांसद बने। जून 2009 से वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने। पार्टी में जेटली ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार से लेकर कई बड़ी जिम्मेदारियां संभाली। 2014 लोकसभा चुनावों में उनको अमृतसर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया। हालांकि, जेटली यह चुनाव हार गए, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे। मोदी कैबिनेट में मिले 2 बड़े मंत्रालय जेटली की मेहनत और लगन को देखते पीएम मोदी ने उन्हें केंद्रीय वित्त और रक्षा मंत्रालय की दो बड़ी जिम्मेदारियां दी। इस बीच, जेटली को राज्यसभा से सांसद बनाया गया और केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनका पद सुरिक्षत हो गया।

नोटबंदी और जीएसटी में अहम भूमिका
मई 2014 में जेटली राज्यसभा में सदन के नेता बने। कुछ समय बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री बना दिया और तबसे जेटली ने देश के वित्त मंत्री का पद संभाला था। नोटबंदी से लेकर जीएसटी लागू करने में जेटली की अहम भूमिका रही। 

ऐसा रहा कानूनी करियर 
कानूनी करियर की बात करें तो जेटली ने बतौर वकील खूब नाम कमाया। आपातकाल के बाद से ही वह वकालत की प्रैक्टिस करने लगे। उन्होंने देश के कई हाईकोर्ट में अपनी तैयारी पूरी की और वर्ष 1990 में वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील नियुक्त हुए। इस पद पर पहुंचने से पहले ही वी. पी. सिंह ने 1989 में उन्हें देश का अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल नियुक्त किया था। बोफोर्स घोटाले से जुड़ी जांच की जरूरी कागजी कार्रवाई जेटली ने ही पूरी की थी। 


आडवाणी, सिंधिया को करवा चुके हैं अदालत से बरी 
अटल सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 2004 में जेटली एक बार फिर वकालत के पेशे में आ गए और साथ ही वह भाजपा में विभिन्न उच्च पदों से जुड़े रहे। जेटली ने बतौर वकील शरद यादव, लालकृष्ण आडवाणी, माधवराव सिंधिया, बिड़ला परिवार और फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा को अदालत से बरी करवाया।

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