रिश्तों को शर्मसार करने वाली कहानी, बूढ़े बाप और मंदबुद्धि बच्चों को ठुकरा गया दंपति

Edited By Anil dev,Updated: 04 Jan, 2019 12:17 PM

arun sahu retard prince hospital

हॉट सिटी में रिश्तों को शर्मसार करने का वाक्या सामने आया है। जिसमें एक दंपति अपने दो मंदबुद्धि बच्चों को बुजुर्ग पिता के भरोसे छोड़ कर अपनी.अपनी राह हो लिए। जब बुजुर्ग पिता को बेटे के सहारे की जरूरत थी उस वक्त में बेटा न सिर्फ बुजुर्ग पिता को...

गाजियाबाद: हॉट सिटी में रिश्तों को शर्मसार करने का वाक्या सामने आया है। जिसमें एक दंपति अपने दो मंदबुद्धि बच्चों को बुजुर्ग पिता के भरोसे छोड़ कर अपनी.अपनी राह हो लिए। जब बुजुर्ग पिता को बेटे के सहारे की जरूरत थी उस वक्त में बेटा न सिर्फ बुजुर्ग पिता को बेसहारा छोड़ गया।  बल्कि उनके कंधों पर अपने दो मंदबुद्धि बच्चों का भार भी छोड़ गया। अब तीनों लोगों की मदद के लिए एक सामाजिक संस्था सामने आई है। संस्था ने बीमार एक बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है। वहीं बच्ची को परवरिश के लिए सीडब्ल्यूसी के हवाले किया है।  मामला राकेश मार्ग इलाके में रहने वाले दरभंगा बिहार के अरूण कुमार साहू से जुड़ा है। अरूण साहू (65) बेहद साधारण पृष्टभूमि से ताल्लुक रखते हैं। वह नासिरपुर में अपने बेटे पंकज गुप्ता और पुत्रवधु रंजना गुप्ता के साथ रहते हैं। उनके परिवार में पहली संतान के रूप में पौत्री ने जन्म लिया। 

बच्ची के मंदबुद्धि होने पर लगा माता-पिता को झटका
बच्ची के मंदबुद्धि होने के कारण उनके बेटे पंकज और पुत्रवधु रंजना को झटका लगा। दोनों के बीच बच्ची को लेकर अनबन रहने लगी। पौत्री अलका के तीन साल बाद दूसरे बच्चे राजकुमार (पौत्र) का जन्म हुआ। दुर्भाग्य से वह भी जन्म से ही मंदबुद्धि निकला। दोनों बच्चों के इस दुर्भाग्य को पंकज सहन नहीं कर सका और वह घर छोड़कर चला गया। पंकज के जाने के बाद घर में दादा,पुत्रवधु और दो बच्चे रह गए। बुजुर्ग अरूण गली.गली जाकर कपड़े बेचकर गुजारा करने लगे। लेकिन पुत्रवधु रंजना इस सबसे अपना पीछा छुड़ाने की फि राक में जुट गई। कुछ समय बाद पुत्रवधु ने भी पति के लौटने का इंतजार ना करते हुए दूसरा विवाह रचा लिया और ससुर व बच्चों को मझधार में छोड़कर चली गई। 

पलंग से बंधी हुई थी 5 साल की मासूम 
बुजुर्ग अरूण का कहना है कि दोनों बच्चों की परवरिश के लिए उन्हें मेहनत मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी दौरान उनकी मुलाकात गोविंदपुरम में डेयरी संचालक रोहित से हुई। जिसे उन्होंने आपबीती सुनाई। रोहित ने पगडंडिय़ां संस्था की अध्यक्ष शालू पांडेय से उनकी मुलाकात कर मदद को आगे आने की गुजारिश की। जिसके बाद शालू पांडेय अपने पति अरूण पांडेय के साथ 31 दिसम्बर की रात 9 बजे पीड़ित अरूण साहू के घर पहुंचे। घर का दरवाजा खोलकर देखा तो आंखे हैरानी में फ टी रह गईं। 5 साल की मासूम अलका जहां पलंग से बंधी हुई थी, तो वहीं 2 साल का राजकुमार बीमारी में बेसुध पलंग पर पड़ा था। पंगडंडिया संस्था की अध्यक्ष शालू पांडेय ने तत्काल बच्चों को वहां से हटाया। राजकुमार को जहां अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

फिलहाल राजकुमार का चल रहा है इलाज
वहीं अलका को बाल गृह में रखने के लिए जिलाधिकारी का दरवाजा खटखटाया। डीएम की अनुपस्थिति में सिटी मजिस्ट्रेट ने जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्रा को बच्चों के मामले में उचित इंतजाम करने के निर्देश दिए। विकास चंद्रा ने अलका को बाल संरक्षण समिति के हवाले कर दिया है। जहां उसकी बेहतर देखभाल हो सकेगी। जहां अरूण साहू जब चाहे अपने बच्चों से जाकर मिल सकते हैं। शालू ने बताया कि फिलहाल राजकुमार का इलाज चल रहा है। पगडंडिया संस्था की इस सराहनीय पहल को अफसरों और क्षेत्र के लोगों ने सराहा है। 

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