दिल्ली में अधिकारों को लेकर SC का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण: केजरीवाल

Edited By Anil dev,Updated: 14 Feb, 2019 01:46 PM

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दिल्ली में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के अधिकारों को लेकर उच्चतम न्यायालय के गुरुवार को दिए निर्णय से सकते में आई आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और राजधानी की जनता के प्रति अन्याय करार दिया।

नई दिल्ली: दिल्ली में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के अधिकारों को लेकर उच्चतम न्यायालय के गुरुवार को दिए निर्णय से सकते में आई आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और राजधानी की जनता के प्रति अन्याय करार दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारों को लेकर शीर्ष अदालत के फैसले को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और राजधानवासियों के साथ अन्याय करार दिया है। उन्होंने फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि चुनी हुई सरकार को अधिकारियों के तबादले का कोई अधिकार नहीं है ऐसे में सरकार कैसे चलेगी?  

 

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भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहने पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘40 साल से एसीबी दिल्ली सरकार के पास थी अब नहीं है, अगर कोई भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री से करेगा तो उस पर कार्रवाई कैसे होगी?’’ केजरीवाल ने फैसले के बाद आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिस पार्टी के पास विधानसभा में 70 में से 67 सीटें हों वह अधिकारियों का तबादला नहीं कर सकती, किन्तु ऐसी पार्टी जिसके पास मात्र तीन सीटें हैं वह यह काम कर सकती है। यह कैसा लोकतंत्र और आदेश है?

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केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि इस फैसले की समीक्षा के लिए कानूनी राय ली जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एक-एक फाइल को पास कराने के लिए यदि हमें उपराज्यपाल के पास जाना होगा, तो सरकार काम कैसे करेगी?’’ 

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अब तीन जजों की बेंच सुनाएगी फैसला
आपको बतां दे कि दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की बेंच ने फैसला सुनाया। हालांकि दोनों जजों की बेंच के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद के चलते अब पीठ के तीन जजों की बेंच इस पर अपना फैसला सुनाएगी। सेवा, पोस्टिंग और ट्रांसफर मामले पर जजों के बीच फैसला अटक गया। वहीं जमीन, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर मामले केंद्र के पास रहेंगे। किसानों का मुआवजा दिल्ली सरकार तय करेगी। 

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