'आर्य समाज का काम विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं', SC ने कानूनी मान्यता देने से किया इनकार

Edited By Yaspal,Updated: 03 Jun, 2022 08:46 PM

arya samaj s job is not to issue marriage certificate  sc refuses

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ‘आर्य समाज'' के पास विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है और इसके साथ ही, इसने एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बीवी...

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ‘आर्य समाज' के पास विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है और इसके साथ ही, इसने एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अवकाशकालीन पीठ ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की बालिग है और उन्होंने एक 'आर्य समाज' मंदिर में शादी की है तथा इससे संबंधित विवाह प्रमाण पत्र रिकॉर्ड पर रखा जा चुका है।

पीठ ने कहा, ‘‘आर्य समाज के पास विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। यह अधिकारियों का काम है।'' शिकायतकर्ता लड़की की ओर से पेश अधिवक्ता ऋषि मटोलिया ‘कैविएट याचिका' के मद्देनजर पेश हुए और कहा कि लड़की ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए अपने बयान में आरोपी के खिलाफ बलात्कार के विशिष्ट आरोप लगाए हैं। इसके बाद पीठ ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी। राजस्थान हाईकोर्ट ने पांच मई को आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363, 366ए, 384, 376(2)(एन) और 384 तथा यौन अपरापध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा पांच के तहत दंडनीय अपराध के लिए नागौर स्थित पादुकलां थाना क्षेत्र में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसके आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट के समक्ष आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि प्राथमिकी डेढ़ साल की देरी से दर्ज की गई है और प्राथमिकी दर्ज करने में उक्त देरी के बारे में शिकायतकर्ता ने कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है। उन्होंने कहा था कि अभियोक्ता एक बालिग लड़की है और आरोपी और अभियोक्ता के बीच शादी पहले ही 'आर्य समाज' मंदिर में हो चुकी है और शादी का प्रमाण पत्र भी रिकॉर्ड पर उपलब्ध है।


हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोक्ता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयान में याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार का एक विशिष्ट आरोप लगाया है। यह भी कहा गया था कि लड़की ने बयान दिया था कि आरोपी ने एक कोरे कागज पर उसके हस्ताक्षर लिये थे और घटना का एक वीडियो भी तैयार किया था। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने चार अप्रैल को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें 'आर्य समाज' को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के अनुसार विवाह करवाने का निर्देश दिया गया था।

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