बागी विधायकों पर शिवसैनिकों के गुस्से पर बोले अशोक चव्हाण, यह वफादारी के बदले नाराजगी है

Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Jun, 2022 08:01 PM

ashok chavan said on the anger of shiv sainiks on rebel mlas

शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बीच महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में शामिल कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि संवैधानिक गतिरोध पर कानूनी लड़ाई जारी है।

 

नेशनल डेस्क: शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बीच महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में शामिल कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि संवैधानिक गतिरोध पर कानूनी लड़ाई जारी है। कांग्रेस ने कहा कि त्रिदलीय व्यवस्था मजबूत बनी हुई है। शिवसेना के कार्यकर्ता राज्य के विभिन्न हिस्सों में अपने बागी नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य के मंत्री एवं कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के कार्यकर्ता केवल बागी नेताओं के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।

मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के लिए मुंबई में कांग्रेस नेताओं की बैठक के बाद चव्हाण ने पत्रकारों से कहा कि विद्रोही गुट को अपने लिए एक नया नाम हासिल करने के लिए कानूनी मंजूरी लेनी होगी। कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं राज्य के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि एमवीए कानूनी रूप से मजबूत स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘‘हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अभी संवैधानिक गतिरोध को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है।'' कांग्रेस ने एक बयान में कहा कि एकनाथ शिंदे खेमे ने संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को हटाने का प्रस्ताव पेश करने के लिए एक नोटिस दिया था।

बयान में कहा गया है, ‘‘लेकिन नियम के अनुसार विधानसभा में कोई भी प्रस्ताव राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने के लिए समन जारी करने के बाद ही पेश किया जा सकता है। अध्यक्ष को हटाने का नोटिस प्राप्त होने के बाद 14 दिन की अग्रिम सूचना देनी होगी और इसके बाद नोटिस को विधानसभा में पढ़ा जाएगा और फिर हटाने की बाकी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।'' बयान में कहा गया कि अभी तक राज्यपाल ने सत्र बुलाने के लिए समन जारी नहीं किया है, इसलिए शिंदे का पत्र उपाध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव नहीं है, बल्कि यह केवल एक इरादा है। बयान में कहा गया कि शिंदे ने अपने समर्थन में नेबाम रेबिया मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला दिया है, लेकिन यह अभी महाराष्ट्र पर लागू नहीं होता है।

इसमें कहा गया, ‘‘यह एक गलत संदर्भ है क्योंकि उस मामले में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने तीन नवंबर, 2015 को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए एक समन जारी किया था। अध्यक्ष को हटाने का नोटिस 11 नवंबर, 2015 को दिया गया था।'' बयान में कहा गया है, ‘‘उस मामले में राज्यपाल द्वारा विधानसभा बुलाए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए अपने फैसले को सही ठहराया था कि अध्यक्ष अयोग्यता पर फैसला नहीं कर सकते, जबकि खुद उनके निष्कासन पर नोटिस लंबित है। नेबाम रेबिया मामले में निर्देश महाराष्ट्र पर तब तक लागू नहीं होते जब तक कि राज्यपाल विधानसभा सत्र नहीं बुलाते हैं।

कांग्रेस ने बयान में कहा, ‘‘अगर बागी नेताओं के पास संख्या है, तो वे अविश्वास प्रस्ताव की मांग क्यों नहीं कर रहे हैं? राज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए समन क्यों नहीं जारी कर रहे हैं, जो उन्हें करने का अधिकार है? बयान में कहा गया कि यह सुना जा रहा है कि बागी नेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक नये विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्यपाल से मांग करेंगे, लेकिन यह संभव नहीं है क्योंकि राज्यपाल पहले ही अध्यक्ष पद के चुनाव की अनुमति देने से लिखित रूप से इनकार कर चुके हैं, क्योंकि यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!