पैरोल पर जेल से बाहर आए कैदियों से पुलिस वालों ने मांगा पैसा, तो माना जाएगा रिश्वत: कोर्ट

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Jul, 2020 04:06 PM

asking police money from prisoners on parole will considered as bribe court

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि पैरोल पर जेल से बाहर आए कैदियों या उनके परिजनों से यदि कोई पुलिस अधिकारी धन लेता है या धन की मांग करता है तो इसे रिश्वत की श्रेणी में रखा जाएगा और यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय होगा। सलेम जेल में आजीवन कारावास...

नेशनल डेस्कः मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि पैरोल पर जेल से बाहर आए कैदियों या उनके परिजनों से यदि कोई पुलिस अधिकारी धन लेता है या धन की मांग करता है तो इसे रिश्वत की श्रेणी में रखा जाएगा और यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय होगा। सलेम जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी को गुरुवार को 10 दिन की पैरोल देते हुए जस्टिस एन कीरूबाकरण और जस्टिस वी एम वेलूमणि की खंडपीठ ने तमिलनाडु सरकार को जेल के नियमों में थोड़ी ढील देने का निर्देश दिया ताकि कैदियों के पैरोल आवेदन का निपटारा दो सप्ताह की निश्चित अवधि में किया जा सके।

 

पीठ ने कहा कि समय सीमा का उल्लंघन किए जाने को अदालत की अवमानना माना जाएगा और नियमों का अनुपालन नहीं करने की वजह से होने वाले मुकदमों का खर्च संबंधित अधिकारी को वहन करना होगा। कैदी को अपनी पत्नी के इलाज के खर्च की व्यवस्था करनी थी इसलिए उसने पैरोल की याचना की थी। न्यायालय ने कहा कि अदालत के संज्ञान में आया है कि कैदी के साथ जाने वाले पुलिसकर्मी इसके लिए धन ले रहे हैं। यदि ऐसा हो रहा है तो यह गैरकानूनी है और इसे घूस की श्रेणी में रखा जाएगा। पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि ऐसी कोई घटना अदालत के सामने लाई जाती है तो उस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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