असम: गैर नागरिकों की लिस्ट में उल्फा उग्रवादी का नाम शामिल, सांसद का नाम गायब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 06:53 PM

assam 1st draft of the nrc with names of 1 9 million issued

असम के लिए बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी कर दिया गया है जिसमें कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों को कानूनी रूप से भारत का नागरिक सूचीबद्ध किया गया है। इस वृहद अभियान का उद्देश्य असम में अवैध...

गुवाहाटी: असम के लिए बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी कर दिया गया है जिसमें कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों को कानूनी रूप से भारत का नागरिक सूचीबद्ध किया गया है। इस वृहद अभियान का उद्देश्य असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करना है जिसकी सीमा बांग्लादेश से लगी हुई है। समोवार सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग पूरे असम में बड़ी संख्या में यह देखने के लिए एकत्रित हुए कि उनका नाम उस सूची में है या नहीं जिसमें शामिल नामों को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली कवायद में भारत के नागरिक के तौर पर मान्यता दी गई है।
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इस लिस्ट में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट( AIUDF) के चीफ और लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल और उनके दो बेटों के नाम नहीं हैं। वहीं, प्रतिबंधित संगठन उल्फा-आई (ULFA-I)के उग्रवादी परेश बरुआ का नाम इस लिस्ट में है। बरुआ का एआरएन नंबर 101831002065041801069 है। उसे डिब्रूगढ़ जिले के जेरईगांव का रहने वाला बताया गया है। यही नहीं, बरुआ के परिवार वालों के नाम भी इस लिस्ट में है। उग्रवादी परेश बरुआ के अलावा उल्फा-आई (ULFA-I) के एक और बड़े नेता अरुनोदोई दोहुतिया का नाम भी पहले ड्राफ्ट में शामिल है।
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रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) शैलेष ने कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ नामों वाला पहला मसौदा जारी करते हुए कहा, ‘‘किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। अन्य नाम सत्यापन के विभिन्न चरणों में हैं, जैसे ही सत्यापन हो जाएगा हम लोग अन्य मसौदा भी ले आएंगे।’’ आरजीआई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) अभूतपूर्व है। इस देश में इसका कोई उदाहरण नहीं है। मुझे इस बात का संदेह है कि विश्व में भी ऐसा कोई अन्य देश है जहां लोगों की नागरिकता का पता लगाने के लिए ऐसी कोई जटिल पद्धति है।’’ कानून एवं व्यवस्था सुनिश्वित करने के लिए पूरे राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। उल्लेखनीय है कि असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए उनका नाम इस रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है। यह कदम असम में अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालने के लिए किया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 31 दिसंबर को पहला ड्राफ्ट जारी किया गया। इस रजिस्टर में जिन आवेदकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं, उनकी अभी जांच चल रही हैं।अगले मसौदा की संभावित समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर शैलेष ने कहा कि एनआरसी प्राधिकरण अपना मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अप्रैल में अगली सुनवाई के दौरान रखेगा जिसकी निगरानी में दस्तावेज को तैयार किया जा रहा है उसके बाद तिथि पर तदनुसार निर्णय किया जाएगा। एनआरसी राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने कहा कि आवेदन की प्रक्रिया मई, 2015 में शुरू हुई थी, जिसमें समूचे असम के 68.27 लाख परिवारों से कुल 6.5 करोड़ दस्तावेज प्राप्त किए गए थे। हजेला ने कहा, ‘‘नामों की जांच एक लंबी प्रक्रिया है। इसलिए ऐसी संभावना है कि पहले मसौदे में कई ऐसे नाम नहीं हों जो एक ही परिवार से आते हों।

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