‘देर रात दो बजे दरवाजे पर दस्तक हुई और मेरे पति को उठा ले गए', मुहिम पर बोली असम की बालिका वधू

Edited By rajesh kumar,Updated: 05 Feb, 2023 03:15 PM

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असम के मोरीगांव जिले की निम्मी (बदला हुआ नाम) की आंखों में मां बनने की खुशी की चमक नहीं, बल्कि डर, असुरक्षा का भाव और भविष्य में पेश आने वाली मुश्किलों की चिंता दिखाई देती है।

नेशनल डेस्क: असम के मोरीगांव जिले की निम्मी (बदला हुआ नाम) की आंखों में मां बनने की खुशी की चमक नहीं, बल्कि डर, असुरक्षा का भाव और भविष्य में पेश आने वाली मुश्किलों की चिंता दिखाई देती है। वहीं, रेजिना खातून (बदला हुआ नाम) की आंखों में एक खालीपन नजर आता है। वह बस इसी ख्याल में डूबी हुई है कि आखिर उस पर दुखों का पहाड़ क्यों टूट पड़ा, जिसने उसकी खुशहाल दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। निम्मी उन हजारों बालिका वधुओं में से एक है, जिसके पति को असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ पिछले दो दिनों से जारी राज्यव्यापी मुहिम के तहत गिरफ्तार किया है।

बाल विवाह की कुल 8,000 आरोपियों की सूची तैयार
वहीं, रेजिना के बेटे ने एक नाबालिग से प्रेम विवाह किया था, जिस कारण अब वह जेल की सलाखों के पीछे है। बाल विवाह के खिलाफ मुहिम के तहत पुलिस ने शनिवार तक 2,258 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें शादी कराने वाले हिंदू पुजारी और मुस्लिम मौलवी भी शामिल हैं। पुलिस ने कहा कि कुल 8,000 आरोपियों की सूची तैयार की गई है। राज्य कैबिनेट द्वारा 23 जनवरी को बाल विवाह के आरोपियों को गिरफ्तार करने और इस कुरीति के खिलाफ व्यापक मुहिम एवं जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किए जाने के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,074 मामले दर्ज किए हैं।

देर रात करीब दो बजे दरवाजे पर पुलिस आई 
निम्मी ने कहा, ‘‘बृहस्पतिवार को देर रात करीब दो बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। हमने दरवाजा खोला और बाहर पुलिसवालों को देखा। वे मेरे पति को अपने साथ ले गए।'' निम्मी की आवाज में बेबसी झलक रही थी और उसकी गोद में उसका डेढ़ महीने का बेटा रो रहा था। 17 वर्षीय निम्मी गोपाल बिस्वास (बदला हुआ नाम) को पसंद करती थी। उसने लगभग एक साल पहले 20 वर्षीय गोपाल से शादी कर ली थी। दोनों ने अपना परिवार शुरू किया।

गोपाल गांव के चौराहे पर पकौड़े और अन्य पकवान बेचकर गुजर-बसर कर रहा था। प्रभावित लोगों के नाम उनकी सुरक्षा के मद्देनजर बदले गए हैं। गोपाल का बड़ा भाई युधिष्ठिर (बदला हुआ नाम) भी उसी इलाके में अपने बूढ़े मां-बाप के साथ रहता है। उसने कहा, ‘‘हम अपने परिवार के लिए मुश्किल से रोजी रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं। हम निम्मी और उसके बेटे को कैसे पाल पाएंगे? वह कुछ बेसुध हो गई है। मुश्किल से कुछ खाती है। बच्चा भी बीमार हो गया है।''

आधार कार्ड में गलती के कारण मेरा बेटा अभी भी जेल में
रेजिना के बेटे रजिबुल हुसैन (बदला हुआ नाम) को बृहस्पतिवार सुबह करीब छह बजे उसके घर से पकड़ा गया। इसके चंद मिनट पहले ही वह केरल से अपने बीमार चाचा को लेकर अपने पिता के साथ घर लौटा था। रेजिना ने कहा कि कोई सुनने को तैयार नहीं है। उसने दावा किया, ‘‘मेरी बहू की उम्र शादी की वैध उम्र से कम नहीं है, लेकिन आधार कार्ड में कुछ गलती के कारण मेरा बेटा अब जेल में है। वह (बहू) अपना जन्म प्रमाणपत्र लाने के लिए अपने पैतृक घर गई है, जो यहां से कुछ ही दूर है।''

रेजिना के एक पड़ोसी ने दावा किया कि रजिबुल की पत्नी की तरह कई लड़कियां शादी के समय वास्तव में नाबालिग नहीं थीं, लेकिन आधार कार्ड के लिए नामांकन करते समय उनकी जन्मतिथि गलत दर्ज की गई थी। उसने दावा किया, ‘‘उम्र का आंकड़ा पुलिस ने ज्यादातर स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से लिया है, जिनके पास आधार कार्ड के आधार पर जानकारी है। अब, हम मूल जन्म रिकॉर्ड हासिल करने में इन लड़कियों की मदद कर रहे हैं, ताकि उनके पतियों को जमानत मिल सके।''

एक साल की बेटी के साथ कहां जाऊं?
जहां कुछ बालिका वधुओं को अपने परिवारों से मदद और समर्थन मिल रहा है, तो वहीं रिया देवी (बदला हुआ नाम) जैसी कई लड़कियां अपने पतियों की गिरफ्तारी के बाद प्राधिकारियों के रहम पर निर्भर हैं। सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह में अस्थायी रूप से रह रही 16 वर्षीय रिया ने कहा, ‘‘हमारा कोई और परिवार नहीं है, क्योंकि हमने भागकर शादी की थी। अब मैं यहां से अपनी एक साल की बेटी के साथ कहां जाऊं?'' एक अन्य शरणार्थी रूपा दास (बदला हुआ नाम), जो 16 साल की है और नौ महीने की गर्भवती है, ने भी यही अनिश्चितता साझा की। उसने कहा, ‘‘मेरे पति को रिहा करो। हमने सहमति से शादी की थी। अगर वह मेरे पास नहीं होगा, तो मैं क्या करूंगी।''

बाल विवाह के खिलाफ अभियान स्वागत योग्य
राज्य के समाज कल्याण विभाग में लिंग विशेषज्ञ परिमिता डेका, रिया और रूपा जैसी लड़कियों की मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बाल विवाह के खिलाफ अभियान स्वागत योग्य है। लेकिन अब इन लड़कियों के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी है।'' डेका ने कहा, ‘‘इनमें से अधिकतर खुद अभी बच्ची हैं। हमें उनसे संवेदनशीलता से निपटना होगा और उनके भविष्य को सुरक्षित करना होगा।''

राज्य में बाल विवाह बड़े पैमाने पर होते हैं, लेकिन लोग इसे प्रतिबंधित करने वाले कानूनों से पूरी तरह से अनभिज्ञ नहीं थे। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर अत्यधिक है और इसके लिए बाल विवाह मूल कारण है, क्योंकि राज्य में पंजीकृत विवाहों में से औसतन 31 प्रतिशत निषिद्ध आयु वर्ग में हुए हैं।

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