NRC पर बंटी असम कांग्रेस, गोगोई ने कहा ‘बकवास' है तो पार्टी सांसद ने कहा ‘ऐतिहासिक'

Edited By Yaspal,Updated: 03 Sep, 2019 05:06 AM

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असम कांग्रेस इकाई में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर अलग-अलग मत हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई जहां इसे ‘‘कागज की बर्बादी'''' कह रहे हैं वहीं लोकसभा सांसद इसे ‘‘ऐतिहासिक वैज्ञानिक दस्तावेज'''' बता रहे हैं। एनआर की अंतिम सूची

गुवाहाटीः असम कांग्रेस इकाई में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर अलग-अलग मत हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई जहां इसे ‘‘कागज की बर्बादी'' कह रहे हैं वहीं लोकसभा सांसद इसे ‘‘ऐतिहासिक वैज्ञानिक दस्तावेज'' बता रहे हैं। एनआर की अंतिम सूची शनिवार को जारी हुई। कुल 3.3 करोड़ लोगों ने आवेदन दिया था जिनमें से 3.11 करोड़ लोगों के नाम अंतिम सूची में हैं। लगभग 19 लाख लोगों के नाम सूची में नहीं हैं।
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गोगोई ने असमिया भाषा में ट्वीट किया,‘‘मैं लंबे समय से कहता आ रहा हूं कि एनआरसी पेपर की बर्बादी होगी। (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) मोदी ने कहा था कि तरुण गोगोई ने विदेशियों के लिए रेड कार्पेट बिछाया है।'' उन्होंने ट्वीट किया,‘‘लेकिन अवैध शरणार्थियों को बाहर निकालने की बजाए वह (मोदी) ठीक ढंग से एनआरसी भी तैयार नहीं कर पाए। हम उन सभी भारतीयों के साथ हैं जो एनआरसी में छूट गए हैं।'' गोगोई से ठीक उलट बारपेटा से कांग्रेस सांसद अब्दुल खलीक ने एनआरसी को ‘मील का पत्थर' और ‘ऐतिहासिक वैज्ञानिक दस्तावेज' करार दिया।
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खलीक ने ट्वीट किया,‘‘हालांकि बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी की अंतिम सूची में छोड़ दिए गए हैं लेकिन यह माननीय भारत के उच्चतम न्यायालय की निगरानी में असम सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा तैयार ऐतिहासिक वैज्ञानिक दस्तावेज है। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह मील का पत्थर है।''
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पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे एवं लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि राज्य प्रशासन की लापरवाही के कारण एनआरसी में छूटे वास्तविक भारतीय नागरिक को अब अदालत जाना पड़ेगा।'' उन्होंने ट्वीट किया,‘‘असम में भाजपा कहती है कि छूटे हुए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे न्यायाधिकरण अदालत जा सकते हैं,लेकिन प्रश्न यह है कि क्यों किसी वास्तविक भारतीय को अदालत में जा कर अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत है, जब यह राज्य के अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुआ है?''

 

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