Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 13 Aug, 2019 12:40 PM
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) सूची में जगह न पाने वालों के नाम केवल 31 अगस्त को ऑनलाइन प्रकाशित किए जाए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी आदेश दिया कि आधार कार्ड की तरह ही एनआरसी...
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) सूची में जगह न पाने वालों के नाम केवल 31 अगस्त को ऑनलाइन प्रकाशित किए जाए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी आदेश दिया कि आधार कार्ड की तरह ही एनआरसी डाटा की सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त कदम उठाए जाएं। हालांकि कोर्ट ने एनआरसी ड्राफ्ट में जगह पाए लोगों की भी दोबारा समीक्षा की केंद्र और राज्य सरकार की मांग को ठुकरा दिया है। बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार ने सीमावर्ती जिलों में 20% की दुबारा जांच की मांग की थी। क्योंकि सरकार ने अंदेशा जताया था कि स्थानीय एनआरसी अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर लाखों अवैध शरणार्थियों ने अपना नाम एनआरसी सूची में शामिल करा लिया है।
क्या है एनआरसी
आसान भाषा में समझे तो एनआरसी देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों की पहचान करने की एक प्रक्रिया है। फिलहाल यह असम में जारी है। इसकी पहली सूची 2018 में जारी हुई थी जिसमें करीब 40 लाख लोग सूची में शामिल नहीं किए गए थे। हालांकि इन्हें अपना नाम सूची में शामिल ना किए जाने पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 30 दिनों का वक्त दिया गया था। इस साल 31 जुलाई को एनआरसी की अंतिम सूची जारी होनी थी लेकिन बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था।