Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Dec, 2018 08:08 PM
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों ने एक बार फिर एग्जिट पोल की पोल खोल दी है। हालांकि, सर्वेक्षण एजैंसियों के अस्पष्ट आकलन ने उनकी लाज बचा ली है। सर्वेक्षण एजैंसियों ने आंकड़ों को ऐसा पेश किया
नेशनल डेस्कः पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों ने एक बार फिर एग्जिट पोल की पोल खोल दी है। हालांकि, सर्वेक्षण एजैंसियों के अस्पष्ट आकलन ने उनकी लाज बचा ली है। सर्वेक्षण एजैंसियों ने आंकड़ों को ऐसा पेश किया कि परिणाम आने के बाद उन्हें अपनी बात सही साबित करने का मौका मिलता रहे। इस चुनाव में सबसे मुश्किल काम मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के परिणाम का अनुमान लगाना था, जहां कांटे की टक्कर बताई जा रही थी। हालांकि, मध्य प्रदेश में इन लोगों का अनुमान सच्चाई के थोड़ा करीब रहा, लेकिन छत्तीसगढ़ के परिणाम ने सारी एजैंसियों को सिर के बल खड़ा कर दिया।
देखा जाए तो इंडिया टूडे-एक्सिस ने अपने एग्जिट पोल में न्यूनतम और अधिकतम का अंतर इतना ज्यादा बढ़ा दिया था कि परिणाम का सही अनुमान लगाना वैसे भी मुश्किल था। इसने न्यूनतम और अधिकतम सीटों के बीच करीब 20 का अंतर दिखाया था, जो अपने आप में बहुत बड़ी संख्या है। अगर चुनाव परिणाम पर नजर डाली जाए तो मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस को मिली सीटों का अंतर भी उतना नहीं है, जितना कि इंडिया टूडे के एग्जिट पोल में न्यूनतम और अधिकतम सीटों का अंतर बताया था। छत्तीसगढ़ ने तो एग्जिट पोल की पोल खोलकर रख दी। वहां इंडिया टुडे को छोड़कर लगभग सभी एजैंसियों ने भाजपा को बहुमत के करीब बताया था। इंडिया टुडे ने अपने अस्पष्ट आकलन के कारण बीच का रास्ता अपनाया था लेकिन उसने भी भाजपा की इतनी खराब स्थिति का अनुमान नहीं लगाया था। लेकिन चुनाव परिणाम इन अनुमानों से बिल्कुल उलट आया। यहां अजीत जोगी के फैक्टर को नकारते हुए लोगों ने कांग्रेस को करीब दो-तिहाई बहुमत दिया है। भाजपा को 35 से 50 के बीच सीट देने वाली सर्वेक्षण एजैंसियों के सारे अनुमान धराशायी हो गए।
हालांकि, तेलंगाना और राजस्थान में एग्जिट पोल और परिणाम में थोड़ी समानता रही क्योंकि राजस्थान में लगभग सभी एजैंसियों ने कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान लगाया था तो तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव की पार्टी टी.आर.एस. को स्पष्ट बहुमत आने का अनुमान लगाया था। इन दोनों राज्यों के अलावा मिजोरम में भी एग्जिट पोल का अनुमान लगभग सही रहा है। वैसे पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य के बारे में अनुमान ही बहुत कम एजैंसियों ने लगाया था लेकिन जिन दो-तीन एजैंसियों ने आंकड़े दिए थे, उसमें मिजो नैशनल फ्रंट की सरकार बनने का दावा किया गया था। देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के परिणामों ने इन एजैंसियों के अनुमानों को जो झटका दिया है, उससे इस बात की ओर संकेत तो जरूर मिलता है कि आप चाहे जितनी भी सटीकता की बात करें, लेकिन जनता की मानसिकता को पहचान पाना आसान नहीं है। -राजीव कुमार