तेलंगाना विधानसभा चुनाव: ‘दक्षिण के अयोध्या’ की अनदेखी है बड़ा मुद्दा

Edited By vasudha,Updated: 03 Dec, 2018 03:36 PM

ayodhya of the south is a big issue in telangana

राष्ट्रीय राजनीति में राम मंदिर का मुद्दा फिर से गरमाने की कोशिशों के बीच ‘दक्षिण की अयोध्या’ के नाम से लोकप्रिय भद्राचलम के विकास की कथित अनदेखी तेलंगाना विधानसभा चुनावों में स्थानीय लोगों के लिए बड़ा मुद्दा है...

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजनीति में राम मंदिर का मुद्दा फिर से गरमाने की कोशिशों के बीच ‘दक्षिण की अयोध्या’ के नाम से लोकप्रिय भद्राचलम के विकास की कथित अनदेखी तेलंगाना विधानसभा चुनावों में स्थानीय लोगों के लिए बड़ा मुद्दा है। राज्य में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पर भद्राचलम के विकास की अनदेखी के आरोप लग रहे हैं। 

भद्राचलम में भी भगवान राम ने बिताया था समय 
मंदिरों की नगरी भद्राचलम से करीब 32 किलोमीटर दूर पर्णशाला नाम की एक जगह है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास का एक हिस्सा पर्णशाला में बिताया था और रावण ने इसी जगह से देवी सीता का अपहरण किया था। मंदिर परिसर के ठीक पीछे रहने वाली आदिलक्ष्मी ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि यहां घर का कचरा फेंकने की भी जगह नहीं है। घरों से इकट्ठा किया गया कचरा गोदावरी नदी के तट पर फेंका जाता है। स्थानीय श्रद्धालु रामप्रसाद ने आदिलक्ष्मी की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि हम मौजूदा शासन से बहुत निराश हैं।

केसीआर से लोग नाराज
टीआरएस प्रमुख और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव वैदिक संत और वैष्णव धर्म के उपदेशक चिन्ना जीयर के अनुयायी बताए जाते हैं। स्थानीय और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने आरोप लगाया कि केसीआर ने चुनावों से बहुत पहले ही इस क्षेत्र के लिए काम करना बंद कर दिया था। पड़ोस के क्षेत्रों में चुनाव प्रचार करने के बाद भी टीआरएस का कोई नेता भद्राचलम नहीं आया। कांग्रेस उम्मीदवार पोडेम वीरैया ने कहा कि कोई जमीन नहीं है, क्योंकि राज्य के विभाजन के बाद मंदिर से जुड़ी संपत्तियां और जमीन आंध्र प्रदेश के पास चली गईं।

स्थानीय लोगों की भावनाएं हुई आहत
तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की वरिष्ठ नेता कुमारम फणीश्वरी ने कहा कि यह एक आरक्षित सीट है और राज्य में सबसे अधिक आदिवासी इसी क्षेत्र में रहते हैं। एक स्थानीय होटल के प्रबंधक बालकृष्ण ने कहा कि इतनी अनदेखी की गई है कि केसीआर ने पिछले दो साल में यहां राम नवमी कार्यक्रम में भी हिस्सा नहीं लिया। ऐसा रिवाज रहा है कि कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करते हैं लेकिन उन्होंने अपने पोते को कार्यक्रम में भेज दिया, जिससे स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत हुईं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे से इसकी तुलना करते हुए बालकृष्ण ने कहा कि केसीआर के पास इस जगह को विकसित करने का मौका था, लेकिन वह बुरी तरह नाकाम रहे।

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