ऑफ द रिकॉर्डः गतिरोध तोड़ने के लिए किसानों से ‘पिछले दरवाजे से बातचीत’

Edited By Pardeep,Updated: 11 Feb, 2021 05:48 AM

backdoor conversation with farmers to break deadlock

महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करवाने के मकसद से सरकार और किसानों के बीच पिछले दरवाजे से बातचीत का रास्ता खोला गया है। खुद प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों राज्यसभा में संकेत दिए कि सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने से हिचकिचाएगी

नई दिल्लीः 2 महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करवाने के मकसद से सरकार और किसानों के बीच पिछले दरवाजे से बातचीत का रास्ता खोला गया है। खुद प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों राज्यसभा में संकेत दिए कि सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने से हिचकिचाएगी नहीं। किसान नेताओं ने भी अपने सुर नरम कर लिए हैं तथा वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) पर कानून लाने की मांग कर रहे हैं। 

सरकार ने तीनों कृषि कानून स्थगित कर दिए हैं तथा वह इसे लेकर किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार है। भाजपा किसान मोर्चा के उत्तर प्रदेश से एक नेता टिकैत बंधुओं से बातचीत करने में पूरी सक्रियता से जुटे हुए हैं और वह उनसे होने वाली हर बात की जानकारी केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दे रहे हैं। 

सूत्रों का कहना है कि बातचीत सही दिशा में जा रही है। जहां तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत की बात है तो उन्होंने विरोध प्रदर्शन को थोड़ा नर्म किया है जैसा कि चक्का जाम के दिन उन्होंने दिल्ली, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड को उससे दूर रखा। यह भी पता चला है कि केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, जो खुद उत्तर प्रदेश से हैं तथा टिकैत बंधुओं के काफी करीब हैं, भी पर्दे के पीछे से बातचीत में शामिल हैं। केंद्रीय गृहमंत्री इस अप्रत्यक्ष बातचीत में तालमेल कर रहे हैं जबकि कृषिमंत्री तोमर को आधिकारिक बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

प्रधानमंत्री भी यह दावा कर चुके हैं कि तोमर किसानों के सतत् संपर्क में हैं यानि बातचीत जारी है। खुद तोमर इस बात की आशा व्यक्त कर चुके हैं कि जल्द ही गतिरोध टूटेगा क्योंकि बातचीत का सिलसिला चल रहा है। जानकारों का कहना है कि गतिरोध किसी भी समय टूट सकता है। भाजपा नेता बीच का रास्ता निकालने के लिए टिकैत भाइयों राकेश और नरेश से बातचीत कर रहे हैं। सरकार कह चुकी है कि यदि यह बताया जाए कि कृषि कानून में फलां प्रावधान खास तौर पर गलत है तो वह उसे संशोधित करने को तैयार है। सरकार ने किसानों की आलोचना करने से अपने को दूर ही रखा है। सरकार एम.एस.पी. पर विशेषज्ञों, किसान प्रतिनिधियों, राज्य व केंद्र के सदस्यों पर आधारित समिति बनाने के लिए भी राजी है।

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