Edited By Monika Jamwal,Updated: 27 Oct, 2020 06:04 PM
बारामूला का दानिश ताइक्वांडो में नेशलस खेलनेकेबाद अब ओलंपिक में खुद को परखनेको तैयार हो रहा है। उसका सपना है कि वो देश को ओलंपिक में स्वर्ण दिलाए।
श्रीनगर: बारामूला का दानिश ताइक्वांडो में नेशलस खेलनेकेबाद अब ओलंपिक में खुद को परखनेको तैयार हो रहा है। उसका सपना है कि वो देश को ओलंपिक में स्वर्ण दिलाए। मंजूर का कहना है कि उसे हमेशा से ही खेल में रूचि थी। वो खेलने के लिए बढ़ा हुआ है। उसने क्रिकेट से स्टार्ट कियाथा पर फिर वो धीरे-धीरे ताइक्वांडो की तरफ आ गया और 2013 में उसने पहला प्रदर्शन किया।
दानिश कहता है, मैने देखा कि कुछ लोग पार्क में ताइक्वांडों की प्रेक्टिस कर रहे हैं। मैने सारा खेल देखा और मुझे बहुत मजा आया। मै इतना प्रेरितहो गया कि मैने भी इसे अपनाने की सोची। आप यकीन मानिये कि मैं पूरीरात सोया नहीं था। "
उसने आगे कहा," मैनेअपना कैरियर जम्मू से शुरू किया। 2013 में मैने पहला टूर्नामेंट खेला। मुझे स्वर्ण मिला। उसके बाद मैं नेशनलस के लिए गया। 2015 में कटक में खेला और क्र्वाटर फाइनल तक पहुंचा।" वह कहता है कि उसने नेशनल बहुत खेले और अब उसे देश को आगे ले जाने की उम्मीद है। उसका सपना अब सिर्फ ओलंपिक है। वह अपने जिले के युवाओं की प्रेरणा भी है। वह कहता है कि जम्मू कश्मीर अब वो जम्मू कश्मीर नहीं है जो पांच साल पहले हुआ करता था। अब बहुत कुछ बदल गया है। युवा खेल में आगे आ रहे हैं। वो युवाओं को खेलों को अपनी जिन्दगी का हिस्सा बनाने को भी कहता है।