माली पर आतंकी साया

Edited By ,Updated: 20 Jul, 2016 02:18 PM

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माली में एक सैन्य अड्डे पर हुए हमले में 17 जवानों की मौत हो चुकी है। हालांकि अब तक यह नहीं पता चल पाया है कि यह हमला किसने

माली में एक सैन्य अड्डे पर हुए हमले में 17 जवानों की मौत हो चुकी है। हालांकि अब तक यह नहीं पता चल पाया है कि यह हमला किसने किया है, लेकिन माली के रक्षा मंत्री ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया है। गौरतलब है कि पिछले कई वर्षो से आतंकी संगठनों ने उत्तरी माली में अपना आधार शिविर बनाया हुआ है। देश के दूसरे हिस्से में भी वह हमला करते हैं। आतंकियों के अलावा माली विद्रोहियों की समस्या से भी पी​डित है।  

नवंबर 2015 में भी हुआ था आतंकी हमला

आतंकियों ने नवंबर 2015 में रेडिसन होटल में करीब 170 लोगों को हथियारों के बल पर बंधक बना लिया था। इस हमले में 27 लोग मारे गए थे। नौ घंटे तक चली कार्रवाई में सभी बंधकों को रिहा करवा लिया गया। इस दौरान दो आतंकी मारे गए थे। तब खूंखार अल्जीरियाई आतंकवादी मुख्तार बेलमुख्तार के अल मुराबितून संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।

सावधान किया 

फरवरी 2013 में इस्लामी विद्रोहियों के खिलाफ़ माली में अभियान के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसस्वा ओलांद ने चेता दिया था कि माली में आतंकवाद खत्म होने की भूल नहीं की जा सकती। चरमपंथी विद्रोहियों को दबाने के लिए फ्रांस ने माली की मदद के लिए अपनी सेना भेजी थी। संयुक्त राष्ट्र ने भी सावधान किया था कि उत्तर के तवारैग और अरब्स समुदायों पर जवाबी हमले हो सकते हैं। 

गंभीर ख़तरा

विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी अफ़्रीक़ा के बहुत से देशों को आतंकवादी गुटों के हमले का गंभीर ख़तरा है। माली में आतंकवादी हमले, नाइजीरिया और उसके पड़ोसी देश नीजर तथा कैमरून में बोको हराम सहित दूसरे आतंकवादी गुटों के हमले गंभीर ख़तरा बन गए हैं। पश्चिमी अफ़्रीक़ा के कई देशों में अभी भी राजनैतिक स्वाधीनता व स्थिरता नहीं है। यहां जातीय व क़बायली मतभेद के कारण राजनैतिक तनाव भी व्याप्त है। इससे साम्राज्यवादी देशों को विभिन्न बहानों से इन अफ़्रीक़ी देशों में दाख़िल होने का मौका मिला है। आतंकवादी गुटों के सक्रिय होने का मार्ग भी खोल दिया है।

संयुक्त सुरक्षा गश्त

जनवरी 2016 पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में हुए आतंकवादी हमले के बाद बुर्किना फासो और पड़ोसी देश माली ने इस्लामिक आतंकवाद का मुकबला करने के लिए एक दूसरे के साथ खुफियां जानकारी साझा करने के अलावा संयुक्त सुरक्षा गश्त करने का भी फैसला किया। 

इस्लामी संगठनों का वजूद

औपनिवेशिक ताकतों के आगे-आगे जैसे चर्च और मिशनरियां चला करती थीं, अफ्रीका और एशिया में साम्राज्यवादी ताकतों के आगे-आगे इस्लामी संगठन और अलकायदा चल रहे हैं। माली और अल्जीरिया में भी यही हो रहा है। अलकायदा अफ्रीकी देशों में अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए हस्तक्षेप के हालात बनाता है। साम्राज्यवादी ताकतें अपने लाव-लश्कर के साथ वहां पहुंच जाती हैं। 

फ्रांस से मांगी मदद

सरकार और साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलनों को जनतंत्र के नाम से सैनिक तानाशाही से हांका जा रहा है। लीबिया के बाद का अब मिस्त्र, अल्जीरिया और माली हैं। जहां फ्रांस और राष्ट्रसंघ के साथ यूरोपीय संघ, नाटो संगठन और अमरीका आदि हैं। माली के राष्ट्रपति ने राष्ट्रसंघ और फ्रांस के राष्ट्रपति को एक पत्र भेज कर उनसे मदद मांगी थी। माली में पिछले साल तख्तापलट के बाद से राजनीतिक शून्यता का वातावरण बन गया था। उत्तरी क्षेत्र में टूवारेग विद्रोही लगातार अपना प्रभाव बढ़ाते रहे। माली के महत्वपूर्ण शहर कोन्नो को भी अपने कब्जे में ले लिया। तभी माली ने फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र से मदद ली।

अमरीका जिम्मेदार

विशेषज्ञ माली की बिगड़ी हुर्इ सि्थतियों के लिए पश्चिमी ताकतों और अमरीका को ही जिम्मेदार मानते हैं। राष्ट्रसंघ का कहना है कि लीबिया में जब तक कर्नल गददाफी थे, तब तक माली स्थिर और मजबूत था। गददाफी ने माली की सरकार और वहां के कबिलाई गुटों के बीच तालमेल बनाए रखा। अमरीका और नाटो देशों के द्वारा कर्नल गददाफी के तख्तापलट करने के बाद यह संतुलन बिगड़ गया। 

साम्राज्यवादी ताकतें सक्रिय

माली पहले फ्रांस का उपनिवेश रह चुका है। यहां फ्रांस के बाद नाटो, यूरोपीय संघ आदि भी माली पहुच गए। विशेषज्ञों ने वहां की बिगड़ी हुर्इ सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के लिए यूरोपीय देश और अमरीका के साम्राज्यवाद को जिम्मेदार ठहराया है। ये सब अफ्रीकी महाद्वीप के विशाल खनिज भण्डार पर कब्जा जमाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा माली को अपना उपनिवेश बनाना चाहते हैं। इन साम्राज्यवादी ताकतों के इस्लामी आतंकवादी संगठन प्रमुख सहयोगी हैं। यही राजनीतिक अस्थिरता पैदा करते हैं। 

यूरेनियम के विशाल भण्डार

माली और नाइजर में यूरेनियम का विशाल भण्डार है। फ्रांस अपने उपयोग की 78 प्रतिशत बिजली यूरेनियम ऊर्जा से ही प्राप्त करता है। नाइजर में फ्रांस की कम्पनी अरेवा काम कर रही है। बताया जाता है कि नाइजर के यूरेनियम से फ्रांस रोशन होता है जबकि नाइजर अंधेरे में है। माली के हालात नाइजर से अलग नहीं है। यहां यूरेनियम के साथ अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा स्वर्ण भण्डार है। प्रमुख दो सोने के खदानों पर कनाडा के आर्इएएमगोल्ड का अधिकार है।

 

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