B'day special: वाजपेयी के बारे में खास बातें, विपक्ष भी था उनका कायल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 03:03 PM

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज 93 वर्ष के हो गए। उत्तर प्रदेश से अपना संसदीय जीवन शुरु करने वाले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक हैं जो अपनी दूरदर्शिता के लिए जाने जाते हैं। वाजपेयी के विचारों का पक्ष ही...

नेशनल डैस्कः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज 93 वर्ष के हो गए। उत्तर प्रदेश से अपना संसदीय जीवन शुरु करने वाले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक हैं जो अपनी दूरदर्शिता के लिए जाने जाते हैं। वाजपेयी के विचारों का पक्ष ही नहीं विपक्ष भी कायल था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में ऐसे कई फैसले लिए जिससे उनकी छवि कुछ अलग ही निखर कर सामने आई। वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए। वह बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं। 1924 में जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा।
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वाजपेयी के बारे में खास बातें
-ज्यादातर प्रधानमंत्री भारत को विश्वशक्ति बनाने के लिए परमाणु बम का परीक्षण करने की बात कर रहे थे, लेकिन वाजपेयी ने लीक से हटकर पहली बार इस परीक्षण को करने का साहस दिखाया, उन्होंने बड़े ही गोपनीय तरीके से इस परीक्षण को अंजाम दिलाया।

-वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक है और 1968 से 1973 तक वे उसके अध्यक्ष भी रहे थे।

-राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वाजपेयी एक अच्छे कवि और संपादक भी थे। वाजपेयी ने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर-अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया।

-1957 में जन संघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई लेकिन बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से चुनाव जीतकर वे लोकसभा पहुंचे।

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-वाजपेयी देश के पहले ऐसे राजनेता थे जिन्होंने पहली बार गठबंधन की सरकार बनाई। न सिर्फ उन्होंने सरकार बनाई बल्कि सभी को साथ लेकर भी चले। उनके इस सफल प्रयास ने भारतीय राजनीति को हमेशा-हमेशा के लिए बदलकर रख दिया।

-1977 में पहली बार वाजपेयी गैर कांग्रेसी विदेश मंत्री बने। मोरारजी देसाई की सरकार में वह 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे।

-अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। 1980 में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की।

-अटल बिहारी वाजपेयी अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। वे सबसे लंबे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी।

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-उनके कार्यकाल के दौरान 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण हुआ।

-वाजपेयी 1992 में पद्म विभूषण सम्मान, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994 में श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार और 1994 में ही गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं। वर्ष 2015 में उन्हें भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया

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