Beating Retreat 2020: जानिए क्या है बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी

Edited By shukdev,Updated: 29 Jan, 2020 05:36 PM

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गणतंत्र दिवस 2020: राजपथ पर 26 जनवरी को 71 वें गणतंत्र दिवस मनाए जाने के बाद आज बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया गया। रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इसका प्रदर्शन किया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग...

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस 2020: राजपथ पर 26 जनवरी को 71 वें गणतंत्र दिवस मनाए जाने के बाद आज बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया गया। रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इसका प्रदर्शन किया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट के साथ ही होता है। 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह की तरह यह कार्यक्रम भी देखने लायक होता है। इसके लिए राष्ट्रपति भवन, विजय चौक, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक बेहद सुंदर रोशनी के साथ सजाया जाता है। 

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बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है। लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है। भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्ले के साथ पूरा किया था। समारोह में राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते हैं। 

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विजय चौक पर राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है। इसी दौरान राष्ट्रगान जन गण मन होता है। तिरंगा फहराया जाता है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। 

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बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है। इस दौरान बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं। इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन "सारे जहां से अच्‍छा" बजाते हैं। 

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