AFSPA पर फैसला लेने से पहले सैनिकों की भी सोचे सुप्रीम कोर्ट

Edited By vasudha,Updated: 14 Aug, 2018 11:06 PM

before deciding afspa supreme court should consider about soldiers

देश की रक्षा करते-करते अब भारतीय सैनिकों को अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है। आज मंगलवार को 300 से अधिक जवानों ने आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) लागू क्षेत्रों में सैनिको के खिलाफ हो रही पुलिस कार्रवाई...

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): देश की रक्षा करते-करते अब भारतीय सैनिकों को अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है। आज मंगलवार को 300 से अधिक जवानों ने आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) लागू क्षेत्रों में सैनिको के खिलाफ हो रही पुलिस कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अधिकारियों और जवानों की वकील एश्वर्या भाटी ने कहा कि इन क्षेत्रों में सेना अभियान के दौरान हुए मुठभेड़ की पुलिस या CBI जांच कराना सेना का मनोबल तोड़ने वाला कदम है। इससे आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की पीठ ने  भाटी की दलीलों को मानते हुए 20 अगस्त को सुनवाई करने के लिए हामी भर दी है। 
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अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के लिए क्यों मज़बूर होना पड़ा?

-हाल ही में SC ने कहा था कि नागरिकों के खिलाफ अत्यधिक बल का प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

-SC ने CBI को मणिपुर में हुए कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ों की जांच के आदेश दिए। 

-SC इस याचिका पर भी सुनवाई कर रही है कि सेना के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए केंद्र की इज़ाज़त ज़रूरी है कि नहीं। 

-CBI 41 मामलों में सैनिकों के खिलाफ जांच कर रही है। 

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अफस्पा तब लागू होता जब राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाये रखने में असमर्थ हो जाती है। कठोर परिस्थितियों में कठोर कदम उठाने की ज़रुरत होती है। इस कानून का इस्तेमाल आंतकवाद निरोधक अभियान के लिए किया जाता है। सेना के जवानों को अभियान के दौरान जो फैसला लेने के लिए विवश होना पड़ता है वो एयर कंडिशन्ड ऑफिस में बैठे हमलोग समझ भी नहीं सकते। 9 अप्रैल को कश्मीर के बडगाम जिले में मेजर गोगोई द्वारा एक पत्थरबाज को जींप में बांधना कुछ लोगों को नागवार गुज़रा था। मीडिया के सामने आकर गोगोई ने बताया कि मतदान केंद्र में सुरक्षाकर्मियों को करीब 1200 पत्थरबाजों ने घेर लिया था और यदि उन्होंने फायरिंग का आदेश दिया होता तो कम से कम 12 जानें जातीं।

क्या है आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट?

  • 1958 में भारतीय संसद ने अफस्पा लागू किया
  • गवर्नर द्वारा किसी क्षेत्र के अशांत घोषित होने पर लगाया जाता है।
  • शक होने पर सैन्य अधिकारी किसी को गोली मार सकता है ।
  • सेना किसी भी संपत्ति को नष्ट कर सकती है।
  • किसी को भी बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है ।
  • असम, मिजोरम, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और अरुणाचल के कुछ हिस्सों में अफस्पा लागू है।
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पहली नज़र में अफस्पा द्वारा दिए गए अधिकार निरंकुश नज़र आते हैं लेकिन इसका दूसरा पहलू भी देखना ज़रूरी है। अशांत क्षेत्र में किसी भी कोने, किसी भी घर में आतंकी छुपा हो सकता है। ऐसे में अफस्पा सैनिकों के कवच का काम करता है। एक बल के रूप में, भारतीय सेना ने कभी भी देश का सर झुकने नहीं दिया है। जब भी कोई आपदा आती है तो सेना को ही याद किया जाता है। 2014 के कश्मीर बाढ़ के दौरान सेना ने जान में खेलकर स्थानीय लोगों की जान बचाई। उन्होंने पत्थरबाजों और निर्दोष नागरिकों में फ़र्क़ नहीं किया। रही अफ्स्पा हटाने की बात, अगर किसी क्षेत्र में अमन चैन कायम हो जाता है तो अफस्पा स्वतः ही हट जाता है। इसका उदाहरण पंजाब, त्रिपुरा और मेघालय हैं।

 

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