Edited By Seema Sharma,Updated: 19 Sep, 2018 10:14 AM
संघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन का आज तीसरा और आखिरी दिन है। वहीं, मंगलवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि उनका संगठन भाजपा की राजनीति या उसकी सरकार की नीतियों को निर्देशित नहीं करता।
नई दिल्ली: संघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन का आज तीसरा और आखिरी दिन है। वहीं, मंगलवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि उनका संगठन भाजपा की राजनीति या उसकी सरकार की नीतियों को निर्देशित नहीं करता। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन जिस बात को देश के हित में समझता है, उस पर जोर देता है। भागवत ने कहा कि यह धारणा बिल्कुल गलत है कि संघ मुख्यालय नागपुर से कॉल किया जाता है और (उसके तथा सरकारी पदाधिकारियों के बीच) बातचीत होती है। यह धारणा इसलिए भी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसों का नाता संघ से रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस कभी अपने स्वयंसेवकों को किसी राजनीतिक दल के लिए काम करने को नहीं कहता है।
उन्होंने कहा कि संघ सलाह नहीं देता है, बल्कि मांगे जाने पर सुझाव पेश करता है। उन्होंने भाजपा या उसके किसी भी नेता का नाम नहीं लिया। आरएसएस प्रमुख ने राजनीति पर संघ के रुख के बारे में विस्तार से चर्चा की और दावा किया कि संघ अपने स्वयंसेवकों को किसी विशेष राजनीतिक दल का समर्थन करने के लिए नहीं कहता है, बल्कि उन्हें सलाह देता है कि वे देश के हित में काम करने वालों का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि हम देश के हितों के बारे में बात करते हैं और यदि हमारे पास ताकत है तो हम जो सही मानते हैं, उस पर हम जोर देते हैं। यहां छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। हम इसे खुले तौर पर करते हैं। भागवत ने अवैध घुसपैठ के मुद्दे का जिक्र किया और कहा कि उनका संगठन राजनीति से दूर रह सकता है, लेकिन इस तरह के मुद्दे के बारे में बातें करेगा, क्योंकि यह देश को प्रभावित करता है।
आरएसएस से वैचारिक रूप से संबद्ध भाजपा का नाम लिए बिना भागवत ने कहा कि उनके संगठन से अक्सर उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बारे में पूछा जाता है कि क्यों उसके कई लोग एक पार्टी में हैं और राजनीति के साथ उसका क्या संबंध है। भागवत ने विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा, "यह पूछा जाता है कि उनके इतने सारे लोग एक ही पार्टी में क्यों हैं? यह हमारी चिंता नहीं है। वे अन्य पार्टियों के साथ क्यों नहीं जुड़ना चाहते, यह उन्हें विचार करना है। हम कभी भी किसी स्वयंसेवक को किसी खास राजनीतिक दल के लिए काम करने को नहीं कहते।" भागवत ने कहा कि संघ का स्वयंवर राष्ट्रीय हितों से हो चुका है और यह किसी के साथ शत्रुता तथा किसी अन्य के साथ विशेष दोस्ती में भरोसा नहीं करता है।