Edited By shukdev,Updated: 02 Apr, 2018 08:31 PM
सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC/STअत्याचार निरोधक एक्ट 1999 में कथित रूप से बदलाव किए जाने के खिलाफ दलित संगठनों द्वारा आयोजित भारत बंद हिंसा में बदल गया। राजनीतिक प्रेरित तत्वों ने इसे अपने हक में हथिया लिया। नारेबाजी की जगह हथियार और आग्नेय शस्त्रों ने...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC/STअत्याचार निरोधक एक्ट 1999 में कथित रूप से बदलाव किए जाने के खिलाफ दलित संगठनों द्वारा आयोजित भारत बंद हिंसा में बदल गया। राजनीतिक प्रेरित तत्वों ने इसे अपने हक में हथिया लिया। नारेबाजी की जगह हथियार और आग्नेय शस्त्रों ने ले ली। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया। वाहनों को जला दिया। चारों तरफ हाहाकार मच गया।
भारत बंद की सबसे बुरी स्थिति ये रही कि किसी भी प्रदर्शनकारी को यह मालूम नहीं कि वह क्या कर रहा हैं भारत बंद को हिंसक तत्वों ने अगवा कर लिया। प्रदर्शनकारियों ने अपने नेताओं की बात भी नहीं सुनी। प्रदर्शन देशभर में एक संगठित दंगे के रूप में सामने आया। बिहार, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा,महाराष्ट्र् तथा अन्य राज्यों में प्रदर्शनकारी हिंसक घटनाओं में जुट गए। उनको लोगों की सुरक्षा या सार्वजनकि संपत्ति के बचाव से कुछ लेना देना नहीं था।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हिंसा में 9 लोग मारे गए। प्रदर्शनकारी पिस्टर से गोलियां चलाते रहे, और हवा राइफले लहराते रहे। एक टीवी चैनल ने जब प्रदर्शनकारियों से पूछा कि वे किस मामले को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके पास कोई जवाब नहीं था। ऐसा दिखाई देता है कि ये सारा जाति के नाम पर संगठित दंगा था। देशभर में बेकाबू भीड़ दंगा करती रही। पुलिस और सुरक्षाबल भी बेबस थे। राजनेता अपने हित में रोटियां सेकते दिखे।
केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर किए जाने के बावजूद राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं ने दलित विरोधी आरोप लगाए। कुछ नेताओं ने तो प्रदर्शनकारियों को बढ़ावा भी दिया। तेजस्वी यादव और जीतनराम मांझी जैसे नेता इन प्रदर्शनों में शामिल रहे।