‘भारत माता की जय से इन्कार करने वाले भारत को मानते हैं भोगभूमि'

Edited By ,Updated: 02 Apr, 2016 06:20 PM

bharat mata ki jai

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने आज कहा कि भारत माता की जय बोलने से इन्कार करने वालों को आड़ हाथ लेते ...

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने आज कहा कि भारत माता की जय बोलने से इन्कार करने वालों को आड़ हाथ लेते हुए आज कहा कि जो ऐसा कर रहे हैं, वे भारत को भोगभूमि मानते हैं। आरएसएस के ट्विटर हैंडल पर जारी ट्वीट के मुताबिक जोशी ने डीआरआई के एक कार्यक्रम में कहा, जो इस भूमि को मां मानते हैं, वे ‘भारत माता की जय’ कहते है, जो इस भूमि को भोगभूमि मानते हैं, वे ही ‘भारत माता की जय’कहने से इन्कार करते हैं।  
 
उल्लेखनीय है कि देश की प्रमुख इस्लामी संस्था दारुल उलूम देवबंद ने कल एक फतवा जारी कर कहा था कि मुसलमान ‘भारत माता की जय’ नहीं बोल सकते हैं क्योंकि यह उनके धार्मिक उसूलों के खिलाफ है। जोशी ने साथ ही कहा कि सन 1947 में संविधान द्वारा राजकीय ध्वज के रूप में स्वीकार किए गए तिरंगे का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। भगवा ध्वज प्राचीन काल से इस राष्ट्र के प्रतीक के रूप में श्रद्धा का स्थान रखता है। हमारे लिए तिरंगा और भगवा ध्वज समान रूप से वंदनीय है। जण-गण-मन में राज्य की परिकल्पना प्रकट होती है तो वन्देमातरम में राष्ट्र की। दोनों का सम्मान सबको करना ही चाहिए।  
 
उन्होंने कहा कि देश-राज्य-राष्ट्र तीनों का अलग-अलग अर्थ है, परंतु अंग्रेकाों ने इसमें भ्रम उत्पन्न किया। देश भौगोलिक इकाई होने के कारण इसकी सीमा छोटी-बड़ी होती रहती हैं। राज्य आवश्यक सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने वाली राजनीतिक इकाई है, जो समय के अनुरूप बदलती रहती है। जोशी ने कहा कि राष्ट्र हजारों वर्षों में स्वयं विकसित हुई एक सांस्कृतिक जीवनशैली होती है,जो कभी नहीं बदलती। नागरिकता कानून के द्वारा प्राप्त की जा सकती है, पर देश के साथ मां-पुत्र के संबंध की अनुभूति रखने वाला ही राष्ट्रीय होता है। एक राष्ट्र में कई ‘राज्य’ और एक राज्य में कई राष्ट्र हो सकते हैं। भारत एक नया देश बन रहा है यह भी अंग्रेजों द्वारा फैलाया गया भ्रम है क्योंकि भारत प्राचीन राष्ट्र है। 

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