पदोन्नति में आरक्षण पर कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर उतरी ‘भीम आर्मी’

Edited By Yaspal,Updated: 16 Feb, 2020 08:21 PM

bhim army  flag against the court s decision on reservation in promotion

सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ भीम आर्मी के कई सदस्यों ने रविवार को विरोध जुलूस निकाला। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण देने के...

नई दिल्लीः सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ भीम आर्मी के कई सदस्यों ने रविवार को विरोध जुलूस निकाला। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई में मंडी हाउस से जंतर मंतर तक यह जुलूस निकाला गया। उन्होंने 23 फरवरी को ‘भारत बंद' का आह्वान किया है और मांग की है कि सरकार इस फैसले को निरस्त करने के लिए एक अध्यादेश लाए।
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आजाद ने कहा, ‘‘वक्त आ गया है कि अजा/अजजा/ओबीसी एवं अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपने अधिकारों के लिए एक साथ आएं। भारतीय जनता पार्टी देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।'' उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र आंबेडकर के संविधान से चलेगा और यहां यह आंदोलन नहीं रुकेगा। 23 फरवरी को बड़ा आंदोलन होगा और यह शांतिपूर्ण होगा।''
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए राज्य बाध्य नहीं हैं और पदोन्नति में आरक्षण मांगने जैसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है। भीम आर्मी के प्रवक्ता हरजीत सिंह भट्टी ने कहा, ‘‘शीर्ष अदालत का फैसला पूरी तरह से संविधान में समानता के अधिकार के प्रावधान के खिलाफ है। हम लोग चाहते हैं कि सरकार इस फैसले के खिलाफ संशोधन लाए।''
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शीर्ष अदालत ने यह फैसला उत्तराखंड सरकार के पांच सितंबर, 2012 के फैसले के संबंध में दायर याचिकाओं पर दिया था। उत्तराखंड सरकार के फैसले में राज्य में सरकारी सेवाओं के सभी पदों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण दिए बिना भरने के लिए कहा गया था।
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सरकार के इस फैसले को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसने इसे खारिज कर दिया था। कुछ प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ नारे लगाए। वे ‘गोधरा हमको याद है', ‘जामिया हमको याद रहेगा', ‘कश्मीर हमको याद रहेगा', ‘कश्मीर में हिंसा नहीं सहेंगे', ‘यूपी में हिंसा नहीं चलेगी' और ‘मॉब लिंचिंग नहीं चलेगी' जैसे नारे लगा रहे थे।

 

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