Edited By Yaspal,Updated: 19 Sep, 2018 07:07 PM
महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय में आज सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। सुनवाई कल भी जारी...
नई दिल्लीः महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय में आज सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। सुनवाई कल भी जारी रहेगी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, आनंद ग्रोवर, राजीव धवन ने अपनी दलीलें रखी और मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने को कहा। इस मामले में सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें आज पूरी नहीं हो सकी और न्यायालय ने कल भी सुनवाई जारी रखने की जानकारी दी।
न्यायालय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं - वकील सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, अरुण फेरेरा और वेरनन गोंजाल्विस की गिरफ्तारी के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर एवं अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है। शीर्ष अदालत मामले में पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों की बारीकी से जांच कर रही है। महाराष्ट्र पुलिस ने शीर्ष अदालत के समक्ष तमाम दस्तावेज रखे, जिसमें कहा गया है कि इन पांचों आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
वहीं, दूसरी ओर बचाव पक्ष ने महाराष्ट्र पुलिस की ‘थ्योरी’ को सिरे से नकार दिया। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि खंडपीठ कल इस बाबत कोई निर्णय सुनाएगी। फिलहाल, पांचों आरोपी अपने घर में नजरबंद हैं। महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि पहले इन आरोपियों के खिलाफ सबूत इकट्ठा किए गए और उसके बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया था।
गौरतलब है कि 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एलगार परिषद की बैठक के बाद पुणे के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की घटना की जांच के सिलसिले में बीते 28 अगस्त को पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर उपरोक्त पांचों आरोपियों को गिरफ़्तार किया था, लेकिन इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने 29 अगस्त को पांचों आरोपियों को छह सितंबर तक अपने घरों में ही नजरबंद करने का आदेश दिया था।