भुवनेश्वर:फ्रीडम फाइटर्स के परिजनों से मिले PM, लिंगराज मंदिर में 25 मिनट तक की शिव आराधना

Edited By ,Updated: 16 Apr, 2017 12:33 PM

bhubaneswar modi met the relatives of freedom fighters

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां स्थित लिंगराज मंदिर में पूजा-अर्चना की और 11वीं शताब्दी के इस शिव मंदिर के बाहर अभिवादन कर रहे उत्साही लोगों को गर्मजोशी भरी प्रतिक्रिया दी।

भुवनेश्वर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां स्थित लिंगराज मंदिर में पूजा-अर्चना की और 11वीं शताब्दी के इस शिव मंदिर के बाहर अभिवादन कर रहे उत्साही लोगों को गर्मजोशी भरी प्रतिक्रिया दी। मोदी जैसे ही मंदिर पहुंचे, बाहर मौजूद लोगों ने उनका अभिवादन किया। लोग उनकी एक झलक पाने के लिए अपने अपने मकानों की छतों पर भी खड़े थे। प्रधानमंत्री ने लोगों की आेर देख कर हाथ हिलाया। इसके बाद भाजपा नेता और पुजारी उन्हें मंदिर के अंदर ले गए।

25 मिनट तक मोदी रहे मंदिर में
प्रधानमंत्री के साथ अंदर गए एक पुजारी ने बताया कि मंदिर के अंदर मोदी करीब 25 मिनट रहे। उन्होंने कड़ी सुरक्षा के बीच पूजा की और भगवान लिंगराज को फूल, बेल पत्र, दूध, नारियल पानी तथा मिठाइयां अर्पित कीं। पीएम ने मंदिर के सेवायतों से भी बात की और मंदिर से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में पूछताछ की। एक सेवायत ने बताया कि प्रधानमंत्री को मंदिर के इतिहास, परंपराओं और वास्तु के बारे में बताया गया। प्रधानमंत्री ने मंदिर परिसर को साफ सुथरा रखे जाने तथा हर आेर ‘स्वच्छता’ सुनिश्चित करने पर जोर दिया। मंदिर से जाने से पहले प्रधानमंत्री ने वीवीआईपी पुस्तिका में हस्ताक्षर किए।

स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों से मिले PM
मोदी ने आजादी के आंदोलन के इतिहास को ‘कुछ समय’ और ‘कुछ परिवारों’ तक सीमित रखे जाने पर आज खेद व्यक्त किया। मोदी ने यहां एक कार्यक्रम में 1817 में अंग्रेजों के खिलाफ पाइका विद्रोह आंदोलन में शहादत देने वाले 16 परिवारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले आदिवासियों की वीरता की सराहना की। पीएम ने कहा कि आजादी के आंदोलन की एक लंबी श्रृंखला रही है और उन सभी सामयिक घटनाओं का स्मरण करने और उससे युवा पीढ़ी को अवगत कराए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आदिवासी या जनजातीय वर्ग के लोग विभिन्न राज्यों में रहते है और उन्होंने आजादी की लड़ाई में उल्लेखनीय योगदान दिया है। मोदी ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को यह पता चलना चाहिए कि अभाव की जिंदगी जीने के बावजूद उपेक्षित वर्ग के इन लोगों ने आजादी के लिए किस प्रकार की कुर्बानी दी थी। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण ओडिशा में जनजातीय वर्ग के सैंकड़ों लोगों को फांसी दी गई थी और हजारों लोगों को जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी।

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