ट्रेनों के लेट परिचालन पर बोली सरकार "दुर्घटना से देर भली"

Edited By Yaspal,Updated: 03 May, 2018 07:28 PM

bid on trains operating on trains delayed by accident

ट्रेनों में लेटलतीफी पर रेल मंत्रालय ने परिवहन में बोले जाने वाले सूक्ति वाक्य "दुर्घटना से देर भली" को अपना तकिया कलाम बना लिया है। इस समय देश में ना तो इस वक्त कोहरा पड़ रहा है

नेशनल डेस्कः ट्रेनों में लेटलतीफी पर रेल मंत्रालय ने परिवहन में बोले जाने वाले सूक्ति वाक्य "दुर्घटना से देर भली" को अपना तकिया कलाम बना लिया है। इस समय देश में ना तो इस वक्त कोहरा पड़ रहा है और नहीं कहीं बाढ़ आई है, इन सबके बाद भी ट्रेनों की लेटलतीफी बरकरार है, जिसके चलते देशभर के यात्री परेशान हैं। देश में न कहीं किसान आंदोलन चल रहा है और न किसी प्रकार का कोई अन्य आंदोलन चल रहा है जिसकी वजह से ट्रेनों के परिचालन में कोई परेशानी आए, लेकिन जब ट्रेनों की लेटलतीफी की बात की जाती है तो रेल मंत्रालय कोहरे या बाढ़ की बात कहकर पल्ला झाड़ लेता है। इस वक्त लंबी दूरी की ट्रेनें घंटों की देरी से चल रही हैं। उनके अपने गंतव्य तक पहुंचने का कोई निश्चित समय नहीं है। रेल मंत्रालय के आंकड़े भी यह नहीं बताते कि टाइम टेबल बिगड़ चुका है।

यदि 2016-17 के आंकड़ों की बात करें तो मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के समय पर पहुंचने का औसत 76 फीसदी रहा था। यानी कि 76 फीसदी रेलगाड़ियां अपने निर्धारित समय पर चलीं थी। वर्ष 2017-18 के दौरान मेल एक्सप्रेस ट्रेनों के समय पर पहुंचने की औसत दर घटकर 71.38 फीसदी रह गई है। यानी कि रेलगाड़ियों का परिचालन सुधरने की बजाय बिगड़ गया और अगर पैसेंजर ट्रेनों की बात करें तो वर्ष 2016-17 के दौरान समय पर पहुंचने की औसतन दर 76.53 फीसदी रही, जबकि वर्ष में 2017-18 में गिरकर 72.66 फीसदी रह गई है।

हर साल रेलवे के बज़ट में की गई बढ़ोतरी
रेल मंत्रालय के डायरेक्टर (इंफॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी) वेदप्रकाश ने बताया कि मोदी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने पर पूरा जोर लगाया हुआ है। उन्होंने बताया कि 2009 से 2014 के दौरान हर साल रेलवे में 24,307 करोड़ रुपये का निवेश इंफ्रास्ट्रक्टर में किया गया। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद 2014-15 में 58,718 करोड़ रुपये का भारी निवेश रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर में किया गया। वित्त वर्ष 2015-16 में इसे बढ़ाकर 93,520 करोड़ रुपये कर दिया गया और 2016-17 में यह निवेश बढ़कर 1 लाख करोड़ पार गया।

केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश का टारगेट 1,46,500 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। वेद प्रकाश ने बताया कि देश भर में रेलवे के दोहरीकरण, विद्युतीकरण और आधुनिकीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। इसी कारण रेलवे की आवाजाही पर असर पड़ा है। रेलवे के डायरेक्टर के मुताबिक 2019 तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर काम करना शुरू कर देगा तो उसके बाद मालगाड़ियों का दबाव मौजूदा लाइन से हट जाएगा और इससे रेलगाड़ियों को तेजी से और समय पर चलाया जा सकेगा।

रेलवे की प्रीमियम ट्रेनें शताब्दी और राजधानी 2 घंटे से लेकर 6 घंटे तक की देरी से चल रही हैं। ट्रेनों के लेट चलने पर रेलवे का कहना है दुर्घटना से देर भली। सड़क परिवहन में सुरक्षा के लिए प्रयुक्त होने वाले वाक्य को रेलवे ने अपना तकिया कलाम बना लिया है। वेदप्रकाश का कहना है कि इस समय जल्दी पहुंचने से ज्यादा जरूरी है सुरक्षित पहुंचना, देश में सेफ्टी को तरजीह दी जा रही है, जहां-जहां रेल लाइनों और स्टेशनों पर मरम्मत और सेफ्टी के काम बाकी है उनका तेजी से निपटारा हो रह है। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय का पूरा फोकस सेफ्टी पर है, जगह-जगह पर ट्रैफिक ब्लॉक लेकर सेफ्टी और मरम्मत कार्य पूरा किया जा रहा है। 

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