दिल्ली दंगों में सीताराम येचुरी, योगेंद्र यादव, जयती घोष, डीयू प्रोफेसर अपूर्वानंद नामजद

Edited By Yaspal,Updated: 12 Sep, 2020 09:32 PM

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दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं कार्यकर्ता अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंटरी फिल्मकार राहुल...

नई दिल्लीः दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं कार्यकर्ता अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंटरी फिल्मकार राहुल रॉय के नाम सह-षडयंत्रकर्ताओं के रूप में दर्ज किए हैं। आरोप है कि इन लोगों ने सीएए का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को ‘‘किसी भी हद तक जाने को कहा'', सीएए-एनआरसी को मुस्लिम विरोधी बताकर समुदाय में नाराजगी बढ़ाई और भारत सरकार की छवि खराब करने के लिए प्रदर्शन आयोजित किए। दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिले में 23 से 26 फरवरी के बीच हुए दंगों में पुलिस ने जो पूरक आरोप-पत्र दायर किया है, उसकी एक प्रति ‘पीटीआई' के पास है। उसमें इन सभी के नाम हैं।

चार्जशीट में दावा किया गया है कि दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी तथा 581 लोग घायल हो गए थे जिनमें से 97 गोली लगने से घायल हुए थे। इन जानेमाने लोगों को तीन छात्राओं के बयान के आधार पर आरोपी बनाया गया है। जेएनयू की छात्राएं देवांगना कालिता और नताशा नरवाल तथा जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा गुलफिशा फातिमा पिंजरा तोड़ की सदस्य भी हैं। इन लोगों को जाफराबाद हिंसा मामले में आरोपी बनाया गया है। गौरतलब है कि यहीं से दंगे शुरू होकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के अन्य हिस्सों तक फैल गए थे। तीनों ही छात्राओं के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप दर्ज हैं।

संसद का मॉनसून सत्र आरंभ होने से महज दो दिन पहले सार्वजनिक किए गए आरोप-पत्र में दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि कालिता और नरवाल ने दंगों में न केवल अपनी संलिप्तता स्वीकार की है बल्कि घोष, अपूर्वानंद और रॉय का नाम भी अपने संरक्षकों के तौर पर लिया है जिन्होंने छात्राओं से कथित तौर पर कहा था कि वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करें और ‘‘किसी भी हद तक जाएं''। आरोप-पत्र के मुताबिक छात्राओं-कार्यकर्ताओं ने पुलिस को यह भी बताया कि उन तीनों ने इस्लामी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और जामिया समन्वय समिति के साथ मिलकर पिंजरा तोड़ के सदस्यों को बताया कि सीएए के खिलाफ अभियान को किस तरह आगे लेकर जाना है। घटनाक्रमों की पुष्टि पुलिस ने जामिया की छात्रा फातिमा के बयानों के जरिए की है।

आरोप-पत्र में दावा किया गया है कि येचुरी और योगेंद्र यादव के अलावा फातिमा के बयान में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के कार्यकर्ता उमर खालिद तथा पूर्व विधायक मतीन अहमद एवं विधायक अमानतुल्ला खान जैसे कुछ मुस्लिम समुदाय के नेताओं के नाम भी शामिल हैं। इसमें उन्हें हिंसा के साजिशकर्ताओं का मददगार बताया गया है। पुलिस का दावा है कि फातिमा ने अपने बयान में कहा कि उसे ‘‘भारत सरकार की छवि को खराब करने के लिए'' प्रदर्शन आयोजित करने को कहा गया था।

 

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