Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Jun, 2019 11:26 AM
5 नवम्बर 2019 से लेकर 24 जनवरी 2020 तक शनि तथा गुरु एक बार फिर धनु राशि में रहेंगे। यह समयावधि प्राकृतिक विनाश की ओर विश्व को ले जाएगी। इसके अतिरिक्त 30 मार्च 2020 से लेकर
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नई दिल्ली (स.ह.): 5 नवम्बर 2019 से लेकर 24 जनवरी 2020 तक शनि तथा गुरु एक बार फिर धनु राशि में रहेंगे। यह समयावधि प्राकृतिक विनाश की ओर विश्व को ले जाएगी। इसके अतिरिक्त 30 मार्च 2020 से लेकर 29 जून 2020 तथा 19 नवम्बर 2020 से 5 अप्रैल 2021 तक की अवधि में गुरु-शनि की युती मकर राशि में रहेगी। श्री मां चिंतपूर्णी ज्योतिष संस्थान, महारानी बाग, नई दिल्ली की ज्योतिषी आचार्या रेखा कल्पदेव ने आंकड़ों के हिसाब से आने वाले समय को लेकर भविष्यवाणी की है। उन्होंने कहा कि गुरु धन तथा आर्थिक स्थिति का कारक ग्रह है। शनि कष्ट, आपदाओं व काल का कारक ग्रह माना जाता है। इस स्थिति में मकर राशि में दोनों का एक साथ होना प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त आर्थिक बाजार में रिकार्ड गिरावट का कारण बनेगा। यह स्थिति विश्व आर्थिक मंदी की वजह बन सकती है।
आर्थिक गिरावट, शेयर बाजारों में हड़कंप तथा सैंसेक्स के रिकार्ड स्तर पर गिरने के प्रबल योग बन रहे हैं। ऐसे में धन निवेश से बचना लाभकारी रहेगा। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि 1961-1962 में जब गुरु-शनि एक साथ मकर राशि में थे तो पड़ोसी देश चीन से भारत का युद्ध हुआ था। मकर राशि भारत की कुंडली में नवम भाव की राशि है और नवम भाव से गुरु-शनि तीसरे भाव को पीड़ित कर युद्ध की स्थिति एक बार फिर से बना सकते हैं। आचार्या रेखा कल्पदेव ने कहा कि 2020 से 2022 के मध्य एक बार फिर चीन और पाकिस्तान से भारत को सावधान रहना होगा।
आचार्या रेखा कल्पदेव ने कहा कि मार्च 2012 में शनि उचस्थ थे तथा उनके सामने गुरु गोचर में मंगल की मेष राशि में थे। उस समय विभिन्न देशों में सूखा, अकाल व उच्च तापमान के कारण प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति बनी थी। दिसम्बर 1999 में गुरु-शनि दोनों एक साथ मंगल की मेष राशि में संचार कर रहे थे। यह अवधि भी विश्व के लिए विनाश का कारण बनी थी। इस विनाश की तस्वीर भारत के गुजरात तथा राजस्थान में भी सूखे के रूप में देखी गई। 2000 में गुरु-शनि मेष राशि में युती बना रहे थे तो अमरीका में गंभीर सूखे ने पर्यावरण व फसलों को नुक्सान पहुंचाया था।
इसी तरह से गुरु कर्क तथा शनि मकर राशि में थे तो उनका समसप्तक योग बना। दिसम्बर 1990 में गोचर में उपरोक्त ग्रह स्थिति बनी जिस कारण अप्रैल 1991 में चक्रवर्ती समुद्री तूफान ने बंगला देश के तटवर्ती क्षेत्रों में भयंकर तबाही मचाई थी जिससे अढ़ाई लाख लोग प्रभावित हुए थे।