शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर निकलूंगा, नहीं तो वहीं मारा जाऊंगा: चिराग पासवान

Edited By Anil dev,Updated: 21 Oct, 2020 01:42 PM

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बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान का विपक्ष पर हमला तेज होता जा रहा है। चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि गलती से वर्तमान सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से इस चुनाव...

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान का विपक्ष पर हमला तेज होता जा रहा है। चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि गलती से वर्तमान सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से इस चुनाव में जीत जाते हैं तो हमारा प्रदेश बिहार हार जाएगा। उन्होंने कहा कि बिहार के वर्तमान सीएम नीतीश कुमार को देखकर उन्हें आश्चर्य होता है कि वो किस तरह से जातीयता को बढ़ावा देते हैं। चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुये कहा कि जो व्यक्ति खुद सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने में लिप्त हो तो ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व में बिहार के विकास की कल्पना किया जाना उचित नहीं है। नीतीश कुमार के खिलाफ बोलते हुए चिराग पासवान ने कहा कि हमारा प्रदेश बिहार एक बार फिर बर्बादी की कगार पर जाकर खड़ा हो जाएगा। 
 

शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर निकलूंगा, नहीं तो वहीं मारा जाऊंगा
वहीं चिराग पासवान ने एक नीजि चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें एनडीए से अलग होने के फैसले पर पछतावा नहीं हैं न ही यह फैसला लेने में उन्हें डर लगा। उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान की बातों को याद करते हुए कहा कि पापा बोलते थे कि अगर शेर का बच्चा होगा तो जंगल चीर कर निकलेगा अगर गीदड़ होगा तो वो मारा जाएगा। मैं भी अब खुद को परखने निकला हूं। शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर निकलूंगा। नहीं तो वहीं मारा जाउंगा।

तेजस्वी, चिराग सहित कई पर राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती 
आपको बतां दे कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में इस बार तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के साथ कई उम्मीदवारों के समक्ष चुनाव जीतकर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती है। लालू प्रसाद के छोटे पुत्र और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने तेजस्वी प्रसाद यादव राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बार वह विपक्षी गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं और अपने करिश्माई पिता की अनुपस्थिति में पार्टी के चुनावी अभियान की कमान संभालने के साथ वह दोबारा राघोपुर से चुनावी मैदान में उतरे हैं । विश्लेषकों के अनुसार तेजस्वी को एक बड़े जातीय वर्ग यादव मतदाताओं का काफी समर्थन मिल सकता है। लालू प्रसाद भले ही चुनावी रणक्षेत्र में अपनी पार्टी का नेतृत्व करने के लिए आस-पास न हों, लेकिन उनके विरोधियों के दावों के अनुसार उन्होंने उम्मीदवारों के चयन और सीट-बंटवारे के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने में निर्णायक भूमिका निभायी है। चारा घोटाला मामले में वह रांची में वर्तमान में सजा काट रहे हैं। राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा मामले शामिल हैं। 

रामविलास पासवान ने अपने बेटे को सौंप दी थी पार्टी की जिम्मेवारी 
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस बार भी मुस्लिम समुदाय का रूझान राजद-कांग्रेस गठबंधन की ओर प्रतीत हो रहा है। महुआ के मौजूदा विधायक और तेजस्वी के बड़े भाई तेजप्रताप यादव इस बार समस्तीपुर जिले के हसनपुर से अपना भाग्य आजमा रहे हैं । दलित नेता रामविलास पासवान ने अपने जीवन काल में अपने सांसद पुत्र चिराग को लोक जनशक्ति पार्टी की जिम्मेवारी सौंप दी थी। पासवान के हाल में निधन के बाद चिराग के कंधों पर जिम्मेदारी एकाएक बढ़ गयी है क्योंकि बिहार जदयू की अगुवाई में चुनाव लड़ रहे राजग से नाता तोड़कर अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद लोजपा की चुनावी नैया को पार लगाने का सारा दारोमदार उन पर आ गया है। भले ही भाजपा ने चिराग को वोट कटवा की संज्ञा दी हो पर लोजपा प्रमुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी निष्ठा को प्रदर्शित करते रहे हैं और खुद को उनका हनुमान बताते हैं। उनका दावा है कि चुनाव के बाद उनकी पार्टी के सहयोग से भाजपा की सरकार बनेगी। लोजपा ने राजग के घटक दल के तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव में छह सीटें जीती थीं और 2015 के विधानसभा चुनावों में इसने सिर्फ दो सीटें मिली थीं।

चुनावी मैदान में डटे हुए हैं सारे नेता 
चिराग पासवान ने अपने चचेरे भाई कृष्ण राज को रोसडा निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। बडे राजनीतिक परिवार से आने वाले तेजस्वी और चिराग के अलावा, कई अन्य नेताओं ने अपने पुत्र, पुत्री सहित परिवार के अन्य सदस्यों को अपनी अपनी राजनीतिक विरासत के विस्तार के लिए इस बार चुनावी मैदान में उतारा है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी जहां बक्सर की शाहपुर सीट पर अपना कब्जा बरकार रखने के लिए फिर से चुनावी मैदान में डटे हुए हैं, वहीं राजद की राज्य इकाई प्रमुख जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को रामगढ़ से टिकट मिला है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह ओबरा में राजद के चुनाव चिन्ह लालटेन के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करने की कोशिश में लगे हुए हैं। पूर्व लोकसभा सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर कुमार सिंह छपरा से राजद के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। राजद सुप्रीमो के करीबी माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश नारायण यादव, तारापुर से अपनी बेटी दिव्या प्रकाश और जमुई से भाई विजय प्रकाश के लिए टिकट हासिल करने में कामयाब रहे हैं। जमुई में, विजय प्रकाश का इस बार पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत दिग्विजय सिंह की बेटी और भाजपा उम्मीदवार श्रेयसी सिंह के साथ होगा । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेटे निशांत सहित अपने परिवार को राजनीति से दूर रखा है, पर अपने करीबी नेताओं के बच्चों को जदयू के टिकट से पुरस्कृत किया है। पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल कुमार जहानाबाद से चुनाव मैदान में हैं, जबकि मधेपुरा के मौजूदा विधायक महेंद्र कुमार मंडल के बेटे निखिल मंडल ने अपने पिता की जगह ली है। 

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