राज्यसभा: मंत्रियों-सांसदों के वेतन-भत्ते में 30 प्रतिशत की कटौती वाला विधेयक मंजूर

Edited By Yaspal,Updated: 18 Sep, 2020 08:35 PM

bill approving 30 percent reduction in salary and allowances of ministers

राज्यसभा ने मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक और सांसदों के वेतन, भत्ते में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत की कटौती के प्रावधान वाले विधेयकों को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से...

नई दिल्लीः राज्यसभा ने मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक और सांसदों के वेतन, भत्ते में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत की कटौती के प्रावधान वाले विधेयकों को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा। संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को इस सप्ताह के शुरू में लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है। उच्च सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक 2020 और संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी। संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है।

संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन (संशोधन) अध्यादेश 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छह अप्रैल को मंजूरी दी थी और इसके अगले दिन यानी सात अप्रैल को यह जारी किया गया था। संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 के माध्यम से सांसदों के वेतन में 30% की कटौती के लिए संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 और मंत्रियों के सत्कार भत्ते में कटौती के लिए मंत्रियों का वेतन और भत्ते अधिनियम, 1952 में संशोधन किया गया है। मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक 2020 को भी ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। यह विधेयक गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने पेश किया।

राज्यसभा में इन विधेयकों पर एक साथ हुई चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। यह कदम उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरूआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है।
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कुछ सदस्यों द्वारा नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दे उठाने का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि 2019 के चुनाव में इसके बारे में कई दलों एवं लोगों ने मिथ्यारोप किया था और कुछ लोग उच्चतम न्यायालय भी गए थे । लेकिन देश की जनता ने हमें जबर्दस्त जनादेश दिया । सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षो के लिये निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिये कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘‘ यह अस्थायी है।''

दरअसल, कांग्रेस, राकांपा, आम आदमी पार्टी सहित अधिकतर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सांसद निधि को बहाल करने की मांग की थी गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कोविड-19 के समय में आम लोग, रेहड़ी पटरी वाले, श्रमिक आदि प्रभावित हुए हैं। ऐसे में हम सांसदों एवं मंत्रियों को आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। चर्चा के दौरान कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यहां 70 प्रतिशत सांसद सिर्फ तनख्वाह पर गुजारा करते हैं लेकिन छोटी सी तनख्वाह से गरीबों और देश के लिये योगदान करने को वे तत्पर हैं।

उन्होंने कहा कि लेकिन सांसद निधि हमारा पैसा नहीं है, यह गरीबों का पैसा है। पहले तो इसे दो साल के लिये निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था, निलंबन एक साल के लिये करते। और इसमें भी आधा पैसा यानी 2. 5 करोड़ रूपये की कटौती की जानी चाहिए थी। कांग्रेस सदस्य राजीव सातव ने कहा कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव का समर्थन करती है लेकिन सरकार को विकास कार्य के लिए महत्वपूर्ण ‘‘एमपीलैड'' को बंद नहीं करना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि उसे पीएम केयर्स फंड का हिसाब लोगों को देना चाहिए।

 

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