दिवाला संसोधन विधेयक लोकसभा में पास

Edited By Yaspal,Updated: 01 Aug, 2018 05:19 AM

bill regarding amendment in bankruptcy law passed in lok sabha

दिवाला कानून के तहत ऋणदाताओं की समिति में निर्णय लेने के लिए जरूरी मत प्रतिशत घटाने और अग्रिम भुगतान कर चुके घर खरीदारों को संबंधित रियल स्टेट कंपनी की समाधान प्रक्रिया का हिस्सा बनाने वाला संशोधन विधेयक विपक्ष के बहिर्गमन के बीच लोकसभा में आज पारित...

नई दिल्लीः दिवाला कानून के तहत ऋणदाताओं की समिति में निर्णय लेने के लिए जरूरी मत प्रतिशत घटाने और अग्रिम भुगतान कर चुके घर खरीदारों को संबंधित रियल स्टेट कंपनी की समाधान प्रक्रिया का हिस्सा बनाने वाला संशोधन विधेयक विपक्ष के बहिर्गमन के बीच लोकसभा में आज पारित हो गया।

PunjabKesari

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने सदन में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक 2018 पर चर्चा के जवाब में कहा कि इस कानून का उद्देश्य कंपनियों की नीलामी की बजाय उन्हें दुबारा खड़ा करने के लिए समाधान प्रक्रिया पर जोर देना है। इसलिए शोधन अक्षमता विधि समिति की सिफारिश पर ऋणदाताओं की समिति में निर्णय प्रक्रिया आसान बनाने के उद्देश्य से सामान्य फैसलों के लिए जरूरी मत 75 प्रतिशत से घटाकर 51 प्रतिशत और महत्त्वपूर्ण फैसलों के लिए 75 फीसदी से घटाकर 66 फीसदी किया गया है।

PunjabKesari

विपक्ष के लगभग सभी वक्ताओं द्वारा अध्यादेश लाने में जल्दबाजी पर उठाये गये सवाल पर श्री गोयल ने कहा कि कोई भी सुधार जल्द से जल्द करना अच्छी सरकार की निशानी है। उन्होंने उन आरोपों को गलत बताया कि आलोक टेक्सटाइल्स की समाधान प्रक्रिया के जरिये किसी विशेष उद्योगपति को फायदा पहुँचाने के लिए अध्यादेश लाया गया। उन्होंने कहा कि ये संशोधन पुराने मामलों पर लागू नहीं होंगे।

PunjabKesari

विपक्ष उनके इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि आलोक टेक्सटाइल्स के समाधान के लिए निर्धारित समय सीमा 14 अप्रैल 2018 को समाप्त हो चुकी थी। उस समय ऋणदाताओं की समिति में सिर्फ 72 प्रतिशत मत ही कंपनी को रिलायंस इंडस्ट्रीज और जेएम फाइनेंशियल के संयुक्त उपक्रम के हाथों बेचने के लिए मिले थे जो अकेली बोली प्रदाता भी थी। अवधि समाप्त होने के बाद नियमों के अनुसार कंपनी की नीलामी होनी थी।

PunjabKesari

इसके बाद सरकार ने 6 जून को अध्यादेश लाकर जरूरी मत प्रतिशत घटाकर 66 प्रतिशत कर दिया और 11 जून को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने इस मामले को पुनर्विचार के लिए भेज दिया और 20 जून को सौदा तय हो गया। उन्होंने कहा कि आलोक टेक्सटाइल्स पर 29600 करोड़ रुपये का कर्ज था और समाधान प्रक्रिया से बैंकों को सिर्फ पाँच हजार करोड़ रुपये मिले। इसके बाद उन्होंने कहा, चूँकि सरकार संतोषजनक जवाब देने में असफल रही है, इसलिए हम सदन से बहिर्गमन कर रहे हैं।Þ कांग्रेस के साथ ही वाम दलों के सदस्य भी सदन से बाहर चले गये।

PunjabKesari

पीयूष गोयल ने सदन को बताया कि ऋणदाताओं की समिति तथा समाधान विशेषज्ञ ने मामले को पुनर्विचार के लिए भेजने के विपरीत अपनी राय दी थी, लेकिन इसके बावजूद एनसीएलटी ने ऐसा किया। सरकार अदालत के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करती। इसके अलावा संशोधन के जरिये यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि किसी रियल स्टेट कंपनी का मामला एनसीएलटी के पास समाधान के लिए जाता है तो उसकी परियोजना में पैसा लगाने वाले ग्राहक भी ऋणदाता माने जायेंगे और इस प्रकार उन्हें ऋणदाताओं की समिति में जगह मिल जायेगी।

PunjabKesari

संशोधन के जरिये सूक्ष्म, लघु तथा छोटे उद्यमों के निदेशकों को उनकी कंपनी की समाधान प्रक्रिया में शामिल होने की छूट दी गयी है, हालांकि यह छूट देना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में होगा। कानून के तहत बड़ी कंपनियों के निदेशकों को समाधान प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। 

 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!