शिक्षा अधिकार में बदलाव के लिए बिल पेश, फेल नहीं करने की नीति में संशोधन को पहल

Edited By Sonia Goswami,Updated: 18 Jul, 2018 11:23 PM

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शिक्षा अधिकार कानून में संशोधन करने के लिए संसद में बिल पेश कर दिया है।

नई दिल्लीः  केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शिक्षा अधिकार कानून में संशोधन करने के लिए संसद में बिल पेश कर दिया है। जावड़ेकर ने राइट टू फ्री एजुकेशन सैकेंड अमेडमेंट बिल, 2017 सदन में रखा है। साथ ही प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि राज्य सरकारें इस बिल के समर्थन में हैं। जावेड़कर का कहना है, 'हम खुश हैं कि सभी राज्य सरकारों ने इस बिल का समर्थन किया है। 22 राज्य इस बिल में बदलाव के पक्ष में है।'

 

इस बिल में क्या-क्या हैं प्रस्ताव  

1.इस बिल में किए गए प्रस्तावों के अनुसार किसी भी विद्यार्थी को प्रदर्शन के आधार पर आगे की कक्षा में जाने से नहीं रोका जा सकता।

2. हालांकि परीक्षा के महत्व को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए 5वीं कक्षा में दो बार परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।

3.  साल में दो बार मार्च और मई में परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।

 
 

22 राज्यों ने की इस प्रावधान को बदलने की सिफारिश 

उन्होंने कहा कि 2009 के विधेयक में पहली से 8वीं कक्षा के बच्चों को फेल होने पर भी कक्षा में नहीं रोकने का प्रावधान था। इससे परीक्षा का महत्व ही कम हो गया था। जावड़ेकर ने कहा कि 22 राज्यों ने इस प्रावधान को बदलने की सिफारिश की। कई सर्वेक्षणों में भी पता चला कि बच्चों को अपने वर्तमान कक्षा से कम कक्षा के विषयों की ही जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी छात्र को उसी कक्षा में रोकने के लिए नहीं है। 

नए संशोधन के तहत पांचवीं और आठवीं कक्षा की मार्च में होने वाली पहली परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को मई में दूसरी बार परीक्षा का अवसर मिलेगा। दूसरी बार भी फेल होने पर ही बच्चे को उसी कक्षा में रोका जा सकेगा। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु और केरल समेत कुछ राज्य पुराने प्रावधान को ही चाहते थे। इसलिए हमने विधेयक में प्रावधान रखा है कि बच्चों को कक्षा में रोकने या नहीं रोकने का अधिकार राज्यों को होगा। विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि 2009 का विधेयक ऐतिहासिक था। कुछ राज्यों ने इसे ठीक से लागू नहीं किया था। यदि वे ऐसा करते तो शिक्षा के स्तर में जरूर सुधार होता। 

 

पुन:परीक्षा केंद्र कराएगा या राज्य सरकार कराएंगी  विधेयक में स्पष्ट नहीं

उन्होंने कहा कि सरकार के विधेयक में स्पष्ट नहीं है कि पुन:परीक्षा केंद्र कराएगा या राज्य सरकार कराएंगी। वेणुगोपाल ने सर्वशिक्षा अभियान समेत कुछ केंद्रीय योजनाओं में आवंटन कम किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे बुनियादी विकास रुका है। केंद्रीय सहायता के बिना केंद्रीय कानून को लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने मोदी सरकार की अटल टिंकरिंग लैब योजना की तारीफ करते हुए कहा कि अधिक से अधिक स्कूलों को इसका लाभ मिलना चाहिए। कांग्रेस नेता ने हाल ही में जियो इंस्टीच्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिये जाने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्णय का जिक्र करते हुए कहा कि जो संस्थान अस्तित्व में ही नहीं है और जिसका पंजीकरण भी नहीं हुआ है, उसे यह दर्जा कैसे दे दिया गया। मंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने योजना आयोग की तरह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को समाप्त करने के केंद्र सरकार के निर्णय को भी गैरजरूरी बताया। 

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