Birthday spl: राजनीति के मिस्टर क्लीन 'मनोहर पर्रिकर', हमेशा ईमानदारी और सादगी से जीता सबका दिल

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Dec, 2020 02:03 PM

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देश की राजनीति में कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनके जिंदा रहते हुए और उनके निधन के बाद भी उनकी छवि हमेशा पाक साफ ही रही। ऐसे नेताओं में दिवंगत मनोहर पर्रिकर का नाम भी आता है। मनोहर पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक का पदभार...

नेशनल डेस्क: देश की राजनीति में कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनके जिंदा रहते हुए और उनके निधन के बाद भी उनकी छवि हमेशा पाक साफ ही रही। ऐसे नेताओं में दिवंगत मनोहर पर्रिकर का नाम भी आता है। मनोहर पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक का पदभार संभाला लेकिन हमेशा ही सादगी और संयमित जीवन बिताया। मनोहर पर्रिकर हमेशा अपनी‌ ईमानदारी, स्वच्छ छवि और सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए जाने जाते थे। पर्रिकर गोवा के चार बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद वे हमेशा तामझाम से दूर रहे।

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मनोहर पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर 1955 को हुआ। पर्रिकर 17 मार्च 2019 को पैनक्रियाटिक कैंसर से जंग हार गए और दुनिया को अलविदा कह गए। पर्रिकर देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिनके पास आईआईटी की डिग्री थी. उन्होंने देश के सबसे प्रतिष्ठित IIT संस्थान मुंबई आईआईटी से बीटेक की डिग्री ली थी। मनोहर पर्रिकर पहले ऐसे सीएम भी थे, जो कैंसर का पता लगने के बावजूद एक साल से ज्यादा समय तक पद पर रहे। सबसे दिलचस्प बात ये भी है कि पीएम पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का समर्थन करने वालों में पर्रिकर भाजपा के पहले सीएम थे।

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स्कूल के दिनों में ही जुड़ गए थे RSS से
उत्तरी गोवा के मापुसा में मध्यमवर्गीय कारोबारी परिवार में जन्मे मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पार्रिकर संघ के कार्यकर्त्ता के तौर पर भाजपा से जुड़े। पार्रिकर स्कूल के दिनों से ही संघ से जुड़ गए थे और उनका हमेशा ये मानना था कि संगठन से मिले प्रशिक्षण और विचारधारा की वजह से उन्हें सार्वजनिक जीवन में अच्छा करने और सबसे महत्वपूर्ण फैसला लेने में काफी मदद मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2014 में रक्षामंत्री के तौर पर पार्रिकर का चयन किया और अक्सर उनकी कड़ी मेहनत के लिए तारीफ भी करते रहे। खासतौर पर साल 2018 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के संदर्भ में। जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तक पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री थे और इस दौरान पूरी रणनीति उनकी निगरानी में तैयार हुई थी।

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राजनीतिक सफर
पार्रिकर पहली बार 1994 में गोवा विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने जून 1999 से नवंबर 1999 तक नेता विपक्ष की भूमिका भी निभाई। मुख्यमंत्री के तौर पर पर्रिकर का पहला कार्यकाल 24 अक्तूबर 2000 से 27 फरवरी 2002 तक रहा। इसके बाद 5 जून 2002 से 29 जनवरी 2005 तक उन्होंने फिर से गोवा के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। साल 2012 में उन्होंने सफलता पूर्वक भाजपा को बहुमत दिलाया और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और नवंबर 2014 तक इस पद पर रहे जब उन्हें मोदी ने रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपने के लिए केंद्र में बुला लिया। अक्सर हर सप्ताहांत पर गोवा लौट जाने के लिए आलोचना झेलने वाले पर्रिकर ने कभी भी अपने गृह राज्य लौटने की इच्छा को छिपाया नहीं। एक बार उन्होंने कहा था कि उन्हें गोवा के खाने की कमी बहुत खलती है।

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भारतीय राजनीति में मिस्टर क्लीन
मनोहर पर्रिकर भारतीय राजनीति के सबसे ईमानदार नेताओं में गिने जाते थे। मनोहर पर्रिकर स्कूटी से ही चलते थे, आम जनता के लिए उनके घर के दरवाजे हमेशा खुले रहते थे। पर्रिकर हमेशा चप्पल में ही घर से निकलते थे। मनोहर पर्रिकर ने जब अपने बेटे की शादी की तो वह बाकी राजनेताओं के लिए मिसाल बन गया। उनके बेटे की शादी बिना किसी राजनीतिक तामझाम के हुई और सादगी की सर्वोच्चता देखने को मिली थी। भारतीय राजनीति में मनोहर पर्रिकर की पहचान 'मिस्टर क्लीन' के रूप में होती है। बेहद सरल और सामान्य जीवन जीने वाले मनोहर पर्रिकर हमेशा जनता से जुड़े रहते थे। हमेशा हाफ शर्ट में घूमने वाले पर्रिकर जब रक्षा मंत्री बनकर दिल्ली पहुंचे तो रई नेताओं ने उनको कहा था कि अब तक फुल कमीज और गर्म कपड़े पहनने पड़ेंगे। पर्रिकर हमेशा कहते थे कि गोवा उनके दिल में बसता है।

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इसलिए गोवा वासियों के रहे फेवरेट
मनोहर पर्रिकर गोवावासियों के दिलों में बस गए थे। इसलिए तो साल 2017 में गोवा में पार्टी को बचाने के लिए पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और गोवा में मुख्यमंत्री पद संभाला। गोवा के सीएम रहते हुए उन्होंने कांग्रेस की सरकारों के दौरान जमकर एंटी करप्शन क्रूसेडर का रोल निभाया, कई घोटालों का पर्दाफाश किया और उनके लिए आंदोलन किया। मनोहर पर्रिकर की खुद की इमेज ऐसी थी कि ये व्यक्ति तो करप्शन कर ही नहीं सकता। चप्पल और स्कूटर वाले सीएम की उनकी छवि लोगों के दिलों में बस गई थी। मनोहर पर्रिकर  की सरकार में ‘साइबर एज’ योजना के तहत 10वीं में पढ़ने वाले हर छात्र-छात्रा को केवल 1000 रुपए में कंप्यूटर उपहार में दिया जाता था। ‘लाडली लक्ष्मी’ योजना के तहत हर बेटी की शादी में सरकार की तरफ से 1 लाख रुपए दिए जाते थे। इतना ही नहीं महंगाई से निपटने की या महंगाई से राहत देने की योजना भी पर्रिकर सरकार ने दे रखी थी। ‘गृह आधार’ योजना के तहत पर्रिकर सरकार में हर गृहणी को 1000 रुपए प्रति महीना दिया जाता था। 

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राफेल को मंजूरी
फ्रांस से राफेल सौदे का मामला लंबे समय से अटका पड़ा था और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में ही इस सौदे को मंजूरी दी गई थी। देश को अगर आज राफेल मिले हैं तो इसके पीछे सबसे बड़ी भूमिका पर्रिकर की ही है। सितंबर 2016 में भारत और फ्रांस के बीच राफेल फाइटर प्लेन के सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत की ओर से इस समझौते पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और फ्रांस की ओर से वहां के रक्षा मंत्री ज्यां सील ली ड्रियान ने हस्ताक्षर किए थे।हालांकि बाद में इस सौदे को लेकर कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक दलों ने आपत्तियां भी उठाई थीं मगर पर्रिकर पर इस मामले में कोई दाग नहीं लगा। सेना में वन रैंक वन पेंशन की 40 साल पुरानी मांग को अमल के रास्ते पर ले आने में भी पर्रिकर की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

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अधूरी रह गई आखिरी इच्छा
एक बार पर्रिकर ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि मैं अपनी जिंदगी के आखिरी 10 साल खुद के लिए जीना चाहता हूं। उनका कहना था कि मैंने अपने राज्य को काफी कुछ वापस कर दिया है और मौजूदा कार्यकाल के बाद पार्टी की ओर से दबाव बनाए जाने के बावजूद चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं हूं मगर पर्रिकर की यह इच्छा अधूरी ही रह गई।

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