Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Feb, 2019 04:30 PM
भाजपा ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2012 में भारतीय सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश की झूठी अफवाह फैलाने एवं देश के साथ गद्दारी किए जाने की जांच कराने की मांग की है।
नई दिल्ली: भाजपा ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2012 में भारतीय सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश की झूठी अफवाह फैलाने एवं देश के साथ गद्दारी किए जाने की जांच कराने की मांग की है। भाजपा के प्रवक्ता जी.वी.एल. नरसिंह राव ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस ने केवल भ्रष्टाचार ही नहीं किया बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाला था। एक अंग्रेजी दैनिक में छपी एक खबर का हवाला देते हुए राव ने कहा कि संप्रग के शासनकाल में चार केन्द्रीय मंत्रियों ने सेना को बदनाम करने की साजिश रची थी और जनवरी 2012 में सैन्य तख्तापलट करने की साजिश की अफवाह फैलाई थी। यह देश के प्रति गद्दारी थी।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अप्रैल 2012 में दि सन्डे गार्डियन में एक रिपोर्ट में लिखा गया कि सैन्य तख्तापलट की कोशिश हुई थी और हिसार मथुरा एवं अन्य स्थानों से सैन्य टुकड़ियों का मूवमेंट इसीलिए हुआ था। सेना को जलील करने का षड्यंत्र रचा गया जिसके बारे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूछने पर गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) ने स्पष्ट किया था कि ऐसी कोई बात नहीं हुई थी। राज्यसभा सांसद राव ने कहा कि वह रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के सदस्य हैं और उस नाते से उन्होंने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और समिति के अध्यक्ष कलराज मिश्रा से मुलाकात करके इस मामले की जांच कराने की मांग की है।
उन्होंने मिश्रा से कहा है कि संसद के इसी सत्र में समिति की एक बैठक बुलाएं और कुछ सदस्यों की एक अलग समिति बना कर इस विषय की छानबीन कराई जाए। रक्षा मंत्रालय एवं सेना के अधिकारियों को बुला कर सही जानकारी प्राप्त की जाए। राव ने पूछा कि कहीं ये साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर तो नहीं रची गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को भी जवाब देना चाहिए कि कहीं ये सब उनकी सहमति से तो नहीं हुआ था क्योंकि उन्होंने भी समय-समय पर सेना का अपमान करने वाले बयान दिए हैं। उल्लेखनीय है कि विदेश राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह इस घटना के समय सेना अध्यक्ष थे और उस समय संडे गार्डियन की रिपोर्ट में उन्हें परोक्ष रूप से सैन्य तख्तापलट का षड्यंत्रकारी बताया गया था।