Edited By somnath,Updated: 20 Dec, 2018 10:14 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से लेकर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा (वी), छत्तीसगढ़ के सी.एम. रमन सिंह (आर) और शिवराज सिंह (एस) यह अनुमान लगाने में असफल रहे कि हिंदी बैल्ट वाले राज्यों
जालंधर (बहल, सोमनाथ): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से लेकर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा (वी), छत्तीसगढ़ के सी.एम. रमन सिंह (आर) और शिवराज सिंह (एस) यह अनुमान लगाने में असफल रहे कि हिंदी बैल्ट वाले राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में भाजपा को वी.आर.एस. (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) मिलने वाली है। चुनावों में इन क्षेत्रों में भाजपा की उम्मीदों पर जिस तरह से पानी फिरा है उससे राहुल गांधी की आंधी कम, खुद उसके कार्यकर्त्ताओं की बददुआ का असर ज्यादा नजर आता है। पी.एम.जी. से लेकर मोटा भाई तक के भाषणों में बिगड़े बोल और इनकी सभाओं में कम होती भीड़ के बाद भी जनता की नब्ज पहचानने वाले ये नेता यह नहीं समझ पाए कि इन राज्यों का मतदाता उनके लच्छेदार भाषणों में अब फंसने वाला नहीं है।
सत्ता के नशे में नजर ही नहीं आई हकीकत
2 साल पहले नोटबंदी और खामियों वाले जी.एस.टी. को लागू करने में मनमानी, छत्तीसगढ़ में धान घोटाला और मध्य प्रदेश में व्यापमं सहित अन्य घोटालों के साथ आरक्षण के मामले में माई के लाल शिवराज सिंह को ऐसा झटका लगेगा यह भाजपा कभी महसूस ही नहीं कर सकी। इसका एकमात्र कारण यही रहा कि सत्ता के नशे में उसे हकीकत नजर ही नहीं आई। नई-नई योजनाएं लाने वाली अफसर मंडली के दरबारी कानड़ा राग ने शिवराज सिंह को तारे दिखा दिए और संघ की रिपोर्ट को दरकिनार कर मोदी-शाह को शिवराज के प्रत्याशियों वाली सूची पर भरोसा करना भारी पड़ा। चुनाव परिणाम जब पूरी तरह से कांग्रेस की झोली भरते नजर आने लगे तभी कैलाश विजयवर्गीय ने मुंह खोला और स्वीकारा कि हम से टिकट देने में चूक हो गई है।
भाजपा शासित राज्यों में पार्टी की जड़ें हो रहीं खोखली, नहीं हो पाया चिंतन
यही नहीं कैडर बेस पार्टी कहलाने वाली भाजपा के सूरमा भी गरीब कार्यकर्त्ता की नब्ज नहीं टटोल सके। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह तो नंदू भैया से भी गए-गुजरे साबित हुए। संगठन मंत्री सुहास भगत से तो अरविंद मेनन हजार गुना बेहतर थे। पार्टी के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के चित्र पर माल्यार्पण करने वाले अध्यक्षों ने जब से पार्टी में कॉर्पोरेट कल्चर को गले लगाया है तब से यह चिंतन करने का वक्त ही नहीं मिल रहा कि ठाकरे जी की सादगी कार्यकत्र्ताओं को क्यों सम्मोहित कर लेती थी। नोटबंदी के बावजूद दिल्ली में सैवन स्टार सुविधाओं वाला पार्टी भवन भले ही बाकी पार्टियों की बुरी हालत का मजाक उड़ाता हो लेकिन 15 साल से कब्जे वाले राज्यों में जड़ें कमजोर हो रही हैं परंतु इस पर चिंतन नहीं हुआ। 3 बड़े राज्यों में हार का ऐसा जोरदार झटका अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। एग्जिट पोल तो ठीक, खुद को मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा सर्वेयर कहने वाले शिवराज सिंह का गणित भी कमजोर साबित हुआ है। हार स्वीकार करने के बाद अब शिवराज क्या करेंगे?
सरकार गठन में फूंक-फूंक कर कदम रखा
कांग्रेस ने गोवा में हाथ आई सत्ता को फिसलते देख चुकी कांग्रेस मध्य प्रदेश में सरकार गठन मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखती नजर आई। 15 साल के वनवास के बाद यदि कांग्रेस सत्ता में लौटी है तो उसका सारा श्रेय प्रदेश के मतदाताओं को जाता है जिन्होंने भाजपा से मुक्ति पाने के लिए बेहतर विकल्प के अभाव में कांग्रेस को वोट देने का निर्णय लिया। शिवराज सरकार के साथ अंडरहैंड डीलिंग के आरोपों में घिरी रही कांग्रेस 2003 और 2008 में इसीलिए हारती रही।
बड़ा सवाल-किसानों की कर्ज माफी के लिए पैसा कैसे जुटाएगी कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 10 दिन में किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने जैसे वादे के मोहपाश में ग्रामीण, किसान मतदाताओं को जकड़ तो लिया लेकिन उसका यही वादा उसके लिए भस्मासुर साबित न हो जाए क्योंकि शिवराज चौहान मध्य प्रदेश के गले में 1.85 हजार करोड़ के कर्ज का फंदा कस कर मुक्त हो गए हैं। इस कर्ज के चलते कांग्रेस किसानों का कर्ज माफ करने के लिए पैसा कैसे जुटाएगी, जबकि केंद्र में भाजपा सरकार है।
सर्वाधिक चौंकाने वाले नतीजे
छत्तीसगढ़ से सर्वाधिक चौंकाने वाले परिणाम छत्तीसगढ़ से आए हैं। यहां की 90 सीटों में से कांग्रेस ने 68 सीटों पर कब्जा कर पिछले चुनाव में मिली (39) सीटों में 29 सीटों की बढ़ौतरी की है। भाजपा को 16 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। पिछले चुनाव में उसे 49 सीटें मिली थीं। एग्जिट पोल भी यहां फेल साबित हुए हैं। एग्जिट पोल को लेकर आम दर्शक भी जान गया है कि जो चैनल जिस दल के भक्तिभाव में डूबा रहता है उसके पोलमें उसी दल की सरकार बनवाने की पोलपट्टी चलती है।
बड़ा सवाल-किसानों की कर्ज माफी के लिए पैसा कैसे जुटाएगी कांग्रेस मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 10 दिन में किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने जैसे वादे के मोहपाश में ग्रामीण, किसान मतदाताओं को जकड़ तो लिया लेकिन उसका यही वादा उसके लिए भस्मासुर साबित न हो जाए क्योंकि शिवराज चौहान मध्य प्रदेश के गले में 1.85 हजार करोड़ के कर्ज का फंदा कस कर मुक्त हो गए हैं। इस कर्ज के चलते कांग्रेस किसानों का कर्ज माफ करने के लिए पैसा कैसे जुटाएगी, जबकि केंद्र में भाजपा सरकार है।
मतदाता का ऐसा ही मूड रहा तो नेता करने लगेंगे जनता की फिक्र
राजस्थान के मतदाताओं जैसा मिजाज सारे देश का हो जाए और हर 5 साल में विरोधी दल को सत्ता सिंहासन मिलने लगे तो सी.एम. की कुर्सी अपने नाम होने का भ्रम पालने वाले दल और नेता वाकई जनता की चिंता करने लगेंगे। यहां के मतदाताओं का मूड बाकी देश को पता था इसीलिए 199 सीटों वाले रंगीले राजस्थान ने 99 सीटों की बाऊंड्री पर कांग्रेस को खड़ा कर भाजपा को 73 सीटें ही दी हैं।