ऑफ द रिकॉर्डः त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने के बाद भाजपा के मुख्यमंत्रियों में घबराहट

Edited By Pardeep,Updated: 20 Mar, 2021 06:45 AM

bjp chief ministers nervous after removing trivendra singh rawat

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जिस प्रकार पद से हटाया गया है उससे भाजपा शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों में घबराहट फैल गई है। 48 घंटों के भीतर ही भाजपा हाईकमान द्वारा तीरथ सिंह रावत के रूप में उनके उत्तराधिकारी को भी स्थापित कर...

नई दिल्लीः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जिस प्रकार पद से हटाया गया है उससे भाजपा शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों में घबराहट फैल गई है। 48 घंटों के भीतर ही भाजपा हाईकमान द्वारा तीरथ सिंह रावत के रूप में उनके उत्तराधिकारी को भी स्थापित कर दिया गया। जिस प्रकार त्रिवेंद्र को हटाया गया उससे प्रधानमंत्री की हरी झंडी का स्पष्ट संकेत मिलता है और जिसने काफी मुख्यमंत्रियों की रीढ़ की हड्डी में झनझनाहट पैदा कर दी है, विशेषकर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के। 

राज्य में 2022 में चुनाव होने हैं और कमजोर कांग्रेस व स्थानीय निकाय चुनावों में मिली जीत के बावजूद मोदी मौजूदा हालातों से खुश नहीं हैं। ऐसा महसूस किया जा रहा है कि रूपाणी पार्टी कैडर और लोगों को प्रभावित नहीं कर पाए। मोदी एक दूरदर्शी नेता हैं और वह जानते हैं कि कमजोर प्रशासक लम्बे समय तक लोगों को अपने साथ जोड़े नहीं रख सकता। ऐसा पहले से ही महसूस किया जा रहा है कि सख्त नेता को गुजरात भेजे जाने की जरूरत है जिसमें समूची पार्टी को अपने साथ आगे ले जाने की क्षमता और योग्यता हो। 

सूत्रों और प्रधानमंत्री के नजदीकी अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली से पीछे की सीट पर बैठकर हमेशा ड्राइविंग नहीं की जा सकती। गुजरात प्रधानमंत्री का घरेलू राज्य है और इस मामले में कोई भी अटकलबाजी खतरनाक साबित हो सकती है और वह ऐसे नेता को पसंद करेंगे जो उन पर अधिक बोझ डाले बिना भाजपा की जीत यकीनी बना सके। 

प्रधानमंत्री के करीबी सहयोगी ने मुझे बताया कि उन्हें उस दिन का अफसोस है जब उन्होंने विधायकों, सांसदों और राज्य के अन्य पदाधिकारियों से विपरीत रिपोर्टें मिलने के बावजूद भी झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास को नहीं हटाया जिसके परिणामस्वरूप पार्टी को राज्य में हार मिली। प्रधानमंत्री ने तब किसी की बात नहीं सुनी क्योंकि वह इस बात में विश्वास रखते थे कि मुख्यमंत्री को स्थापित होने के लिए पर्याप्त समय देने की जरूरत होती है। 

हरियाणा से विपरीत रिपोर्टें मिलने के बावजूद उन्होंने अपने साथी आर.एस.एस. प्रचारक और कमरे में साथ रहने वाले मनोहरलाल खट्टर को भी नहीं हटाया। यहां भी भाजपा बहुमत हासिल नहीं कर पाई और गठबंधन में सरकार बनाने के लिए उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी। रावत को हटाया जाना शायद मात्र शुरूआत भर है क्योंकि मुख्यमंत्रियों का प्रदर्शन समीक्षाधीन है। लेकिन आपका अनुमान भी मेरे जितना ही बढिय़ा है।

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