ऑफ द रिकॉर्ड: कांग्रेस सरकारों को गिराने की भाजपा को जल्दी नहीं

Edited By Pardeep,Updated: 20 Jun, 2019 05:18 AM

bjp does not have to hurry to put congress governments down

लोकसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल करने के बाद इस आम अवधारणा के विपरीत कि मोदी-शाह की टीम राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकारों को गिरा देने की जल्दी में है, मालूम हुआ है कि भाजपा की इस संबंध में अभी कोई तुरंत योजना नहीं,...

नेशनल डेस्कः लोकसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल करने के बाद इस आम अवधारणा के विपरीत कि मोदी-शाह की टीम राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकारों को गिरा देने की जल्दी में है, मालूम हुआ है कि भाजपा की इस संबंध में अभी कोई तुरंत योजना नहीं, न ही भाजपा इन राज्यों में अपनी सरकारें चाहती है। राज्य-दर-राज्य इसके कारण अलग हैं। 
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मई में लोकसभा चुनावों में भाजपा की बड़ी जीत के बाद कांग्रेस में उथल-पुथल का माहौल बना हुआ है। इन राज्यों में कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल होने के लिए कतारबद्ध हैं क्योंकि कांग्रेसी नेतृत्व वर्करों में विश्वास पैदा करने में विफल रहा है। कोई भी इस संबंध में आगे नेतृत्व संभालने का इच्छुक नहीं और उलझन भरा माहौल है। इन राज्यों में कांग्रेस का शासन है और कर्नाटक में जद (एस) के साथ संयुक्त सरकार है। इनमें सरकार को मामूली बहुमत प्राप्त है और यह बहुत ही संवेदनशील है।
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वास्तव में मध्य प्रदेश सरकार को गिराना बहुत आसान है क्योंकि गैर-कांग्रेसी विधायक जो सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं वे पासा पलटने के लिए तैयार हैं। कुछ कांग्रेसी विधायक भी ऐसी तैयारी में हैं क्योंकि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच प्रतिद्वंद्विता चरम सीमा पर है मगर भाजपा इस विचार पर शांत है और इन दल-बदलुओं को संकेत दिया है कि वे अपने ‘घोड़ों’ को संभाल कर रखें। भाजपा हाईकमान शिवराज सिंह चौहान को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के मूड में नहीं। चौहान को भाजपा के नए सदस्यता अभियान का प्रमुख नियुक्त किए जाने पर लगातार बधाइयां मिल रही हैं। 
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भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है जिसके 11 करोड़ सदस्य हैं। पार्टी प्रमुख अमित शाह ने अब फैसला किया है कि पार्टी के सदस्यों की संख्या कम से कम 20 प्रतिशत बढ़ाई जाए और इस लक्ष्य की प्राप्ति का काम चौहान को दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री चौहान के बहुत से करीबी महसूस कर रहे हैं कि यह नियुक्ति मध्य प्रदेश के लोकप्रिय नेता के लिए अच्छी खबर नहीं। 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के हाथों बहुत कम अंतर से पराजित होने के बाद चौहान को यह भय सता रहा था कि मौजूदा पार्टी नेतृत्व उन्हें धीरे-धीरे राज्य की सक्रिय राजनीति से बाहर करना चाहता है। 
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भाजपा में चौहान के साथ एकता बनाए रखने वाले भारी संख्या में विधायकों के बारे में पार्टी हाईकमान को पूरी जानकारी है। यही कारण है कि मोदी जल्दबाजी में निर्वाचित सरकार को गिराना नहीं चाहते। यही कहानी राजस्थान की है जहां भाजपा हाईकमान वसुंधरा राजे सिंधिया से नाराज है। कर्नाटक में भी भाजपा हाईकमान बी.एस. येद्दियुरप्पा से खुश नहीं इसलिए सरकारों को क्यों गिराया जाए और उन लोगों को फिर से उच्च पद पर क्यों बिठाया जाए जो मोदी-शाह के वफादार नहीं।

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