संवैधानिक संस्थाओं पर निरंतर आघात कर रही भाजपा सरकार: कांग्रेस

Edited By Hitesh,Updated: 26 Nov, 2021 01:42 PM

bjp government constantly attacking constitutional institutions says congress

कांग्रेस ने संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के बाद शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया कि यह सरकार संवैधानिक संस्थाओं और संविधान की मूल भावना पर आघात कर रही है। पार्टी के...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के बाद शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया कि यह सरकार संवैधानिक संस्थाओं और संविधान की मूल भावना पर आघात कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने यह भी कहा कि यह सरकार प्रजातंत्र और संविधान के जश्न के आयोजन में विपक्ष का सम्मान नहीं करती और संसदीय लोकतंत्र का अपमान करती है, जिस कारण कई विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम से अलग रहने का फैसला किया। कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सांसद संविधान दिवस के कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे। संविधान दिवस पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सांसद एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता शर्मा ने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से विपक्ष की आलोचना करने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस और अन्य मुख्य विपक्षी दल इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। भाजपा की सरकार निरंतर संवैधानिक संस्थाओं को चोट पहुंचा रही है, संवैधानिक नियमों का उल्लंघन हो रहा है। संविधान की मूल भावना पर आघात कर रही है।'' शर्मा के मुताबिक, ‘‘दो साल पहले भी यही स्थिति पैदा हुई थी और हमने विरोध दर्ज कराया था। हमारी अपेक्षा थी कि सरकार सचेत हो जाएगी और विपक्ष को सम्मान देगी।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम संविधान और राष्ट्रपति का सम्मान करते हुए यह कहना चाहते हैं कि अगर प्रतिपक्ष के नेताओं और विपक्षी नेताओं को प्रजातंत्र या संविधान के जश्न के आयोजन में शामिल नहीं किया जाएगा और सिर्फ दर्शक की तरह बुलाया जाएगा तो यह हमें स्वीकार नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी का विपक्ष की आलोचना करना सही नहीं है। इसका कोई औचित्य नहीं है।

सरकार कोई अवसर नहीं छोड़ती कि संविधान और संवैधानिक परंपराओं को दबाकर निर्णय लिया जाए।'' शर्मा ने दावा किया, ‘‘देश में कई समस्याएं और विकट परिस्थितियां पैदा हुई हैं। सरकार ने जिस तरह से कानून बनाए, उससे समाज में टकराव और और उत्तेजना पैदा हुई है। तीनों कृषि कानूनों को लेकर यही हुआ। हमने सरकार से कहा था कि विधेयक पारित कराने की एक प्रक्रिया होती है। सरकार ने प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया। यही कारण है कि किसानों का एक साल तक आंदोलन चला और अब सरकार कानूनों को वापस ले रही है। अगर विपक्ष की बात सुनते तो इतना बड़ा संकट नहीं आता।'' उन्होंने कहा, ‘‘अभी भी समय है। सरकार अपनी कार्यशैली और अपनी मानसिकता बदले। वह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विषयों पर सहमति बनाए।'' उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वह जानते हैं कि आजादी के संग्राम में उनके वैचारिक पूर्वजों का कोई योगदान नहीं था, बल्कि वो लोग अंग्रेजों के साथ मिले हुए थे। ऐसे में वो दूसरे नायक ढूंढ रहे हैं।'' शर्मा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री दूसरे दलों को नसीहत नहीं, बल्कि हमने जो मुद्दे उठाए हैं, उस पर जवाब दें।''

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