फीकी पड़ी मोदी लहर, 2 साल में भाजपा ने खोए 7 राज्य

Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Feb, 2020 10:57 AM

bjp lost 7 states in 2 years

कांग्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद कर दूसरी बार देश की सत्ता पर काबिज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का असर राज्यों में कम होता दिखाई दे रहा है। मोदी लहर अब उतार पर है। भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एन.डी.ए. पिछले 2 साल में 7...

 नई दिल्ली(सुनील पाण्डेय): कांग्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद कर दूसरी बार देश की सत्ता पर काबिज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का असर राज्यों में कम होता दिखाई दे रहा है। मोदी लहर अब उतार पर है। भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एन.डी.ए. पिछले 2 साल में 7 राज्यों में सत्ता गंवा चुका है। पिछली बार दिल्ली में महज 3 सीटें जीतने वाली भाजपा को इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। दिल्ली के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, पूर्व अध्यक्ष अमित शाह 45 से अधिक सीटों पर जीत के अनुमान के साथ सत्ता में आने की उम्मीद अंतिम क्षणों तक लगाए हुए थे लेकिन भाजपा की दिल्ली की सत्ता में आने की उम्मीद टूट गई।

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इसके साथ ही कांग्रेस मुक्त भारत का सपना भी अब ‘सपना’ लगने लगा है। ऐसा भी कह सकते हैं कि भाजपा के लिए देश का सियासी नक्शा भी नहीं बदला। दिल्ली समेत 12 राज्यों में अभी भी भाजपा विरोधी दलों की सरकारें हैं। राजग की 16 राज्यों में ही सरकार है। इन राज्यों में 42 फीसदी आबादी रहती है। इसमें दिल्ली से सटा हरियाणा राज्य भी है जहां पिछले साल ही चुनाव में भाजपा स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त कर सकी। आखिरकार चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला की नवगठित पार्टी जे.जे.पी. से गठबंधन कर सरकार बनाकर इज्जत बचाई। 

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कांग्रेस खुद के बूते या गठबंधन के जरिए महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड एवं पुड्डुचेरी में सत्ता में है। दिसम्बर, 2019 में हुए चुनाव में झारखंड में सरकार बनने के बाद कांग्रेस की 7 राज्यों में सरकार है। 

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दिल्ली में आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार जीती है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, केरल में माकपा के नेतृत्व वाला गठबंधन, आंध्र प्रदेश में वाई.एस.आर. कांग्रेस, ओडिशा में बीजद और तेलंगाना में टी.आर.एस. सत्ता में है। एक और राज्य तमिलनाडु है जहां भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ लोकसभा चुनाव तो लड़ा था लेकिन राज्य में उसका एक भी विधायक नहीं है इसलिए वह सत्ता में भागीदार नहीं है। गौरतलब है कि दिसम्बर, 2017 में एन.डी.ए. बेहतर स्थिति में था। 

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भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 19 राज्य थे। एक साल बाद भाजपा ने 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी। यहां अब कांग्रेस की सरकारें हैं। चौथा राज्य आंध्र प्रदेश है जहां भाजपा-तेदेपा गठबंधन की सरकार थी। 

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मार्च, 2018 में तेदेपा ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां वाई.एस.आर. कांग्रेस ने सरकार बनाई। 5वां राज्य महाराष्ट्र है जहां चुनाव के बाद शिवसेना ने एन.डी.ए.-1 का साथ छोड़ा और हाल ही में कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बना ली। 
अब दिल्ली ने एक बार फिर भाजपा को निराश किया है। 

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कर्नाटक और बिहार में दाव खेल कर बनाई सरकार
भाजपा के खाते में 2 राज्य कर्नाटक और बिहार भी नहीं थे लेकिन सियासी दाव-पेंच और केंद्र सरकार के दबाव में आकर वहां की सरकारों को गिरवा दिया और बाद में खुद गठबंधन कर सरकार बनवा दी। कर्नाटक में कांग्रेस और देवेगौड़ा के बेटे एच.डी. कुमारस्वामी की पार्टी की गठबंधन सरकार थी जबकि बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की पार्टी वाली गठबंधन सरकार। भाजपा ने बड़ा दाव खेला और दोनों का गठबंधन तोड़कर खुद नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनवा ली थी।
 

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